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नज़रिया – क्या हिंदू वोट खोने के डर से "मोब लिंचिंग" पर चुप हैं राहुल गांधी?

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प्रधानमंत्री Narendra Modi के तीन मंत्री हैं, एक Dr. Mahesh Sharma वे अखलाक के हत्यारोपी की लाश पर तिरंगा चढ़ाते हैं, उसकी लाश को नमन करते हैं, लेकिन पीड़ित परिवार से नही मिलते, दूसरे हैं Giriraj Singh वे बिहार के दंगाईयों से जेल में मिलने जाते हैं, वे भी उन लोगों से नहीं मिलते जिनका दंगों में जान माल का नुकसान हुआ है। तीसरे हैं Jayant Sinha वे अदालत से अलीमुद्दीन के कत्ल में दोषी ठहराए गए लोगो का फूल माला पहनाकर कर सम्मान करते हैं, उन्हें मिठाईयां खिलाकर बधाई देते हैं।
चूंकि Bharatiya Janata Party (BJP) पर ठप्पा है कि वह मुस्लिम विरोधी है लिहाजा उसके मंत्रियों, नेताओं का फर्ज बनता है कि वे हर उस शख्स का सम्मान करें जिसने किसी मुस्लिम पर अत्याचार किया हो, फिर चाहे वे अलीमुद्दीन के कत्ल के दोषी हों या फिर मुसलमानों को गालियां देने वाला पाकिस्तान का भगौड़ा Tarek Fateh, लेकिन कांग्रेस तो ‘सेकुलर’ है। फिर Indian National Congress का कोई कद्दावर नेता मॉब लिंचिंग के शिकार हुऐ परिवारों से क्यों नहीं मिलता ? उनके लिये आवाज़ क्यों नहीं उठाता ?
पिछले महीने गुजरात, और महाराष्ट्र में दलितों को पीटा गया कांग्रेस अध्यक्ष Rahul Gandhi ने पीड़ितों का वीडियो ट्वीट किया, इन घटनाओं पर नाराज़गी जाहिर करते हुए इसे मनुवाद करार दिया। लेकिन हाल ही में दिल्ली से चंद किलो मीटर की दूरी पर हापुड़ के बझेड़ा गांव में गाय के नाम पर कासिम की हत्या कर दी गई, और समयदीन को बेरहमी से पीटा गया, उनका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लेकिन राहुल गांधी उस पर प्रतिक्रिया तक नहीं दे पाये।
क्या कांग्रेस मॉबलिंचिंग करने वालों को बाहर से समर्थन दे रही है? मारा जाता है कासिम लेकिन राहुल गांधी मिलने जाते हैं मुस्लिम बुद्धीजीवियों से, यह क्या मजाक है ? और जिन बुद्धीजीवियों से वे मिलते हैं वे इतने महान बुद्धीजीवी हैं कि सोशल जस्टिस की बात करने से उनको मिला हुआ बुद्धीजीवियों का तमगा छिन जाने का डर रहता है।
एक तरफ भाजपा के नेता हैं जो हत्यारों का खुले आम समर्थन कर रहे हैं दूसरी तरफ छद्म सेकुलर हैं जो मकतूल के परिवार के लिये संवेदना भी व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। यूं ही चलता रहा तो यह देश हिन्दु पाकिस्तान नहीं बनेगा बल्कि सीरिया बनेगा।