भारत को “गांधी” देने वाला अंग्रेज़ डायरेक्टर

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Asad Shaikh

90 के दौर में पैदा होने वाले बच्चे जो आज मैच्योर हो गए हैं उनकी लाइफ में कुछ बातें ही नहीं बहुत सारी बातें फेमस हैं। जैसे फिल्में जो बड़ी मुश्किलों के बाद देखने को मिल पाती थी लेकिन जो देखी थी तो आज भी याद हैं। इन फिल्मों ही में एक फ़िल्म थी “Jurassic Park” हां बिल्कुल सही पहचाने आप, डायनोसॉर वाली फिल्म ही की बात हो रही है।

अब मैं आपको बताता हूँ कि इस फ़िल्म का ज़िक्र मैंने क्यों किया है? दरअसल, उस फिल्म में जुरासिक पार्क बनाने वाले बूढ़े शख़्स जिनका नाम Richard Ettenbrough है। उन्होंने भारत के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध शख़्स महात्मा गांधी पर एक फ़िल्म बनाई थी। उसका नाम था “गांधी”,उस डायरेक्टर ही कि आज बरसी है।

गांधी बनाने वाले ने इतिहास बना दिया।

जब हम भारत मे सिनेमा की बात करते हैं या उसके अध्ययन की बात करते हैं तो कुछ चुनिंदा फिल्में ऐसी हैं जहां आकर हम रुक से जाते हैं। इसमें “मुग़ल ए आज़म”, “मदर इंडिया” और “शोले” और कई अन्य फिल्में शामिल होती हैं। लेकिन अक्सर मैंने खुद फिल्मों के शौकीन और अध्ययन करने वाले छात्रों से बात की है तो वो एक फ़िल्म का नाम भूल जाते हैं।

ये फ़िल्म है “गांधी” जो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में मील का पत्थर है। इस फ़िल्म में अमरीश पुरी,ओम पुरी,सईद जाफरी,दलीप ताहिल, पंकज कपूर,टॉम एल्टर और सुप्रिया पाठक जैसे मंझें हुए कलाकार अभिनय की फेहरिस्त में शामिल हैं। वहीं 1982 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म में महात्मा गांधी का अद्भुत किरदार “Ben Kingsley” ने किया है।

लेकिन इस सुपरहिट फ़िल्म को डायरेक्ट करने का ज़िम्मा एक “अंग्रेज” ने उठाया था। जी हां ब्रिटिश साम्राज्यवाद और ज़ुल्म के खिलाफ सबसे मज़बूत आवाज़ के जीवन पर बनने वाली सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक फ़िल्म को बनाने का ज़िम्मा एक अंग्रेज घराने में पैदा हुए “Richard Ettenbrough” का था।

लेकिन ये फ़िल्म भी यूँ ही नहीं बन पाई थी। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस फ़िल्म को बनने में क़रीबन 17.6 मिलियन डॉलर का खर्चा आ गया था। जिसको भारतीय रुपये में 17.6 करोड़ आंका गया था” ये 17.6 करोड़ रुपये आज से 40 साल पहले कितने हो सकते थे ये महज़ अब अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है।

8 ऑस्कर जीत गई थी फ़िल्म…

गांधी जी की ज़िंदगी के बारे में कहानी बताती ये फ़िल्म 1982 में पर्दे पर आई थी। घरों घरों में छा जाने वाली इस फ़िल्म ने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए थे। देश और दुनिया भर में इस क्लासिकल फ़िल्म को बहुत पसंद किया गया था।

वहीं ऑस्कर के मामले में ये सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म,सर्वश्रेष्ठ एक्टर और सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर की कैटेगरी समेत कुल 8 ऑस्कर अवार्ड जीती थी। जो उस समय अपने आप मे एक रिकॉर्ड था। इस फ़िल्म के बाद ही Richard Attenborough को भारत के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

हालांकि इसके बाद काफी विवाद भी हो गया था,पूर्व में प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई जैसे बड़े नेताओं ने इस बात का भारी विरोध किया था। लेकिन भारत मे लोकतंत्र होने का एक बहुत बड़ा फायदा ये भी है कि सब कुछ चलता रहता है। ये भी चल गया था।

गांधी फ़िल्म एक जादू है।

“गांधी” फ़िल्म अपने आप मे एक अजूबा है जिसे बहुत सख्त मेहनत और तैयारी के साथ अंजाम दिया गया था। हाल ये था की गांधी का किरदार निभाने वाले बेन को रिचर्ड ने एक दृश्य के लिए क़रीबन 50 बार सीढ़ियों से चढ़ाया और उतारा था क्यूंकि वो गुजराती बूढ़े जैसा उनके चलने में महसूस नहीं कर रहे थे।

डायरेक्टर रिचर्ड ने गांधी जी की अंतिम यात्रा के लिए फिल्माए गए दृश्य के लिए क़रीबन 3000 हज़ार कलाकारों को अलग से लिया था। ताकि दृश्य में कोई भी कमी महसूस न हो जाये और इस दृश्य को इसकी महत्वता में किसी भी तरह की कोई कमी या पेशी न देखी जाए।

आज ही के दिन अपने जन्मदिन से 4 दिन पहले 2014 में ये लीजेंड डायरेक्टर और अलग अलग तरह के अपने अभिनय के लिए जाने माने रिचर्ड इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे। लेकिन साथ मे दे गए थे एक ऐसी शानदार और बेहतर तरीन फ़िल्म जिसे 40 साल बाद तक भी भुलाया जाना मुमकिन नही है।

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