उद्योगपति कोई किसान या मज़दूर की तरह विशाल संख्या वाला समुदाय नहीं है। उद्योगपति के साथ जब नरेन्द्र मोदी खड़े होने की बात करते हैं तो आप उंगलियों पर गिन सकते हैं कि वो किनके साथ खड़े हैं। ये कौन लोग हैं, इनका रिकॉर्ड क्या रहा है? इन्होंने ‘देश के लिए’ क्या किया और सिस्टम को कितना बर्बाद किया और अपने रसूख के आधार पर सरकारों को कैसे नचाया?
नरेन्द्र मोदी ने ख़ुद अपने मुंह से क्रोनी कैपिटलिज़्म का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री और उद्योगपति-1: गौतम अडानी
- दिसंबर 2002 की बात है। दिल्ली पुलिस ने गौतम अडानी को एयरपोर्ट पर धड़ लिया। उसके ख़िलाफ़ वित्तीय धोखाधड़ी मामले में ग़ैर-ज़मानती वारंट निकला हुआ था।
- भारतीय मीडिया तो कुछ करता नहीं, द गार्डियन ने पिछले साल एक रिपोर्ट छापी थी कि गौतम अडानी कैसे टैक्स चोरी कर रहा है। रिपोर्ट में DRI के हवाले से मॉरीशस स्थित एक फर्जी कंपनी की मदद से 15 अरब रुपए की हेरा-फेरी का आरोप लगाया गया।
- ब्लूमबर्ग का डेटा बताता है कि अडानी पर हज़ारों करोड़ रुपए का बैंक लोन है जिसे हाल ही में सुब्रमण्यम स्वामी ने ‘संभावित एनपीए’ करार दिया। अडानी पावर पर 47 हज़ार करोड़ से ज़्यादा, अडानी ट्रांसमिशन पर 8 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा, अदानी पोर्ट पर 20 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा।
- इनके बड़े भाई विनोद अडानी का नाम पनामा पेपर्स में है। कई लोगों का मानना है कि विनोद अडानी के पीछे सारा खेल गौतम अडानी का है।
- ऑस्ट्रेलिया ने तो इस आदमी की कंपनी को खदेड़ दिया। भारत के प्रधानमंत्री खुलकर इसके समर्थन में उतरे हुए हैं।
- नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही नवाज़ शरीफ़ को बुलाया और भारत-पाकिस्तान के बीच पहला क़रार हुआ अडानी के लिए। पाकिस्तान को 10 हज़ार मेगावाट की बिजली बेचने की डील।
(बाक़ी लोग पाकिस्तान का ‘प’ भी पुकार ले तो एंटी-नेशनल हो जाएं)