बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने गौरक्षकों के द्वारा लोगों पर हमले की निंदा करने में देर करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि वह पिछले दो वर्षों से “कुंभकरण की तरह सो रहे थे” और उन्होंने यूपी विधानसभा चुनावों से पहले दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए ये बयान दिए हैं।
अब वह इसलिए जाग गए हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश एवं कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।” और उन्हें एक दलित वोट नहीं मिलने वाला। वहीं अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले “आल इण्डिया मजलिसे इत्तेहादुल-मुस्लिमीन” AIMIM प्रमुख एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- की प्रधानमन्त्री मोदी अपनी कथनी और करनी में फर्क को ख़त्म करें, और जो कहते हैं वो करें|
प्रधानमंत्री ने शनिवार को गौरक्षकों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि असामाजिक तत्व गौरक्षकों का मुखौटा लगाए हुए हैं. ओवैसी ने कहा कि इन घटनाओं से जुड़ी सभी गौरक्षक समितियां संघ परिवार से जुड़ी हुई हैं. प्रधानमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या ये महज कुछ शब्द हैं. प्रधानमंत्री को राज्यों में अपने ही लोगों, अपनी पार्टी और भाजपा सरकारों पर लगाम लगानी होगी.’
ओवैसी ने यह भी कहा कि मोदी को 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान अपने गुलाबी क्रांति के बारे में दिए भाषणों पर दोबारा गौर करना चाहिए. ओवैसी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्हें इस मुद्दे पर बोलने में इतना समय क्यों लगा. ओवैसी ने कहा, ‘जब अखलाक को मारा गया, प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. झारखंड में दो मुसलमानों को मारने की घटना पर भी वह चुप रहे. जम्मू के एक ट्रक चालक की मौत की खबर पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे.
उन्होंने कहा कि गुजरात के उना में दलितों पर उत्पीड़न का वीडियो देश के घर-घर तक पहुंच गया है, इसलिए प्रधानमंत्री को मजबूरन बोलना पड़ा है. ओवैसी ने कहा कि ये सभी घटनाएं उन राज्यों में हुई हैं जहां भाजपा सत्ता में है या संगठनात्मक रूप से मजबूत है.