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ओलांद के खुलासे के बाद, क्या मोदी सरकार देगी इन सवालों के जवाब ?

by Vijay Shanker Singh · September 22, 2018

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान कि उनके पास विकल्प नहीं था, और भारत सरकार ने जिस ग्रुप का नाम सुझाया, दसाल्ट ने उसे मान लिया, के बाद जो महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं, वे इस प्रकार हैं-

  • जब पहले होने वाले सौदे जो यूपीए के समय मे हो रहा था, तब एचएएल का नाम दसाल्ट के भारतीय साझेदार के रूप में तय हुआ था, फिर अचानक अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस का नाम कैसे आ गया ?
  • जब 126 विमानों की खरीद का सौदा तय हो चुका था तो उसे केवल 36 विमानों पर ही किसके संस्तुति और क्यों कर दिया गया ?
  • सौदे के कुछ ही दिन पहले पूर्व विदेश सचिव ने कहा था कि राफेल सौदे में एचएएल के साझेदार बनाने की बात चल रही है, फिर अचानक एचएएल का नाम क्यों हटा दिया गया और यह नाम हटाया जाय इसे किसने तय किया था ?
  • अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस के अलावे क्या किसी और निजी कंपनी ने इस सौदे में दिलचस्पी दिखाई थी ? अगर नहीं दिखाई थी तो निजी क्षेत्र में ही क्यों नहीं किसी और बेहतर कंपनी की तलाश की गयी ? क्योंकि रिलायंस की तो कंपनी ही कुछ महीने पहले बनी थी।
  • एचएएल एक सरकारी कंपनी है और 60 साल का अनुभव है। उसके प्रोफ़ाइल को देखें और रिलायंस के प्रोफ़ाइल को देखें तो दोनों की तुलना करने पर एचएएल रिलायंस से बेहतर ही बैठती है, फिर सरकार ने अपनी कंपनी का नाम जो पहले से ही चर्चा में थी को क्यों नहीं सुझाया ?
  • कहा जा रहा है कि एचएएल सक्षम नहीं है। क्या एचएएल की सक्षमता पर कभी कोई ऐसी जांच, अध्ययन या ऑडिट हुयी है जिसमे इस कंपनी को नालायक बताया जा रहा है ?
  • अगर ऐसा है तो एचएएल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय कर उनके विरुद्ध क्या कोई कार्यवाही की गईं है ?
  • यह बात सच है कि सरकारी कंपनी अक्सर सुस्त और कागज़ी कार्यवाही के आरोपों से घिरे होते हैं, पर इन आरोपो से उन्हें मुक्त करने की कभी कोई कार्यवाही किसी भी सरकार ने की है ?
  • सरकारी उपक्रम अगर नालायक हैं तो कितने सरकारी उपक्रम के प्रबंधन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के लोगों के खिलाफ सरकार ने कार्यवाही की है ?
  • कहीं यह केवल निजी क्षेत्रों के अपने चहेते पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये एक बहाने की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला तथ्य और तर्क मात्र तो नहीं है ?

सरकार का यह दायित्व है कि वह इस संदेह का निवारण करे। अब वह इस मामले में शंका समाधान कैसे करती है यह सरकार पर निर्भर करता है।

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