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कविता – इश्क के शहर में

by Amrendra Singh · March 30, 2017

मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगतीं, ये तो हमको पता ना था
तुम हो मेरे हम हैं तुम्हारे, ये कब तुमने हमसे कहा

जिस दिन से है जाना मैंने आपकी इन बातों को
ना है दिन में चैन कहीं, न है रातों को..

पहली बार जो तुमको देखा, दो झरनों में डूब गए
बाँहों से तेरी हुए रूबरू, तो खुद को ही भूल गए

जिस दिन से महसूस किया है, तेरी छुअन के उन एहसासों को
न है दिन में चैन कहीं, न है रातों को…

#इश्क़_के_शहर_में..

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