कविता – मुझे कागज़ की अब तक नाव तैराना नहीं आता
तुम्हारे सामने मुझको भी शरमाना नहीं आता के जैसे सामने सूरज के परवाना नही आता ये नकली फूल हैं इनको...
April 9, 2017
तुम्हारे सामने मुझको भी शरमाना नहीं आता के जैसे सामने सूरज के परवाना नही आता ये नकली फूल हैं इनको...
मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगतीं, ये तो हमको पता ना था तुम हो मेरे हम हैं तुम्हारे, ये कब तुमने...