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साम्प्रदायिक राजनीति को पसंद कर रहा है बहुसंख्यक वोटर

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नई दिल्ली – दिल्ली में तीनों नगर निगम में जैसा अनुमान लगाया जा रहा था, उसी अनुमान के अनुरूप परिणाम आये हैं. दिल्ली के तीनो नगर निगम में पहले से ही भाजपा क़ाबिज़ है,फिलहाल देश में भाजपा के द्वारा एक रणनीति हर चुनाव में देखी जा रही है, जिसमें उन्हें भारी सफलता मिलती दिख रही है. फिलहाल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हर प्रदेश में दूसरी पार्टियों के क़द्दावर नेताओं को भाजपा में इम्पोर्ट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य प्रदेशों के क़द्दावर नेताओ के प्रचार के दम पर चुनाव जीत रही है.

वैसे लगातार हो रही भाजपा की जीत पर एक वजह और निकलकर सामने आ रही है, एक सर्वे के अनुसार भाजपा और संघ परिवार देश को मानसिक रूप से बाँटने पर कामयाब हो चुके हैं, अब देश कि जनता काम पर और विकास पर नहि, बल्कि सांप्रदायिक मुद्दो पर वोट कर रही है. एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार भारत के इस बदलते वोटिंग ट्रेण्ड की वजह से देश की छवि विदेशो में एक कट्टरवादी जनता के देश के रूप में बनती जा रही है. कई वजहो में से एक वजह ये भी है, जो विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से कतरा रहे हैं. उन्हे डर है, कहीं सांप्रदायिक राजनीति के इस उफान के दौर में दरक रही भारतीय अर्थव्यवस्था का वो शिकार न बन जाएँ.
दिल्ली के पहले उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों के चुनाव नतीजे बताते हैं, कि अब देश की जनता विकास और काम देखकर वोट नहीं करती, क्योंकि अगर काम देखकर वोट करती तो यूपी में अखिलेश यादव नही हारते, वैसे ही दिल्ली नगरनिगम के चुनाव में जनता आम आदमी पार्टी के काम पर अगर वोट पडता तो आप की इतनी बुरी गत नही होती.
लोकतंत्र में जनता के मन को कोई भी पार्टी पढ नही पाती है. पर विगत कुछ परिणाम से अब भारतीय जनता का मन पढना आसान हो गया है. देश में बहुसंख्यक जनता अब साम्प्र्दायिक राजनीति और मुद्दो को पसंद कर रहि है. जोकि देश की एकता और अखंड्ता के लिये बडी चुनौती है.

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