अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तलाक की संभावना को कम करने के लिए शादी की परफेक्ट उम्र 30 से 34 वर्ष है। तो वहीँ दूसरी ओर डॉक्टर्स का कहना है, इस उम्र में मां बनने पर महिला और होने वाली संतान दोनों हाई रिस्क पर पहुंच जाते हैं। डिलेवरी के बाद भी भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टर्स के अनुसार, अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की गर्भावस्था सामान्य गुजरती है और प्रसव में भी समस्या नहीं होती। लेकिन, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इस उम्र में पहली बार मां बनने का प्रयास करने वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या भी सामने आती है। समय रहते इलाज नहीं होने पर केस जटिल हो जाता है।
प्लेसेंटा प्रिविया, प्री एक्लेमप्सिया और समय से पहले जन्म जैसी गर्भावस्था की जटिलताएं भी अधिक उम्र की महिलाओं में होने की आशंका अधिक रहती है।अधिक उम्र में मां बनने पर शिशु में कुछ अनुवांशिक असामान्यताएं होने का जोखिम भी रहता है। इनमें डाउंस सिंड्रोम या दुर्लभ गुणसूत्र संबंधी स्थितियां जैसे कि एडवड्र्स सिंड्रोम या पटाऊज सिंड्रोम आदि शामिल हैं। हालांकि ऐसा आवश्यक नहीं है कि ये जटिलताएं होंगी ही।
भारत में प्रति 1000 महिलाओं में जन्म दर
25 से 29 साल की उम्र : 157
30 से 34 साल की उम्र : 66
35 से 39 साल की उम्र : 30
40 से 44 साल की उम्र : 9
45 से 49 साल की उम्र :4
उम्र के अनुसार डाउंस सिंड्रोम का खतरा
20 की उम्र : 1500 में से एक को
30 की उम्र : 900 में से एक को
40 की उम्र : 100 में से एक को
डॉ. निलेश दलाल(विभागाध्यक्ष महिला रोग व प्रसूति विभाग एमवायएच) के अनुसार वर्तमान में 30 साल की उम्र में शादी आम हो गई है। कॅरियर और लिव इन रिलेशनशिप इनके मुख्य कारण हैं। ज्यादा उम्र में गर्भवती के केस में ब्लड प्रेशर ज्यादा होना, गर्भावस्था डायबिटीज और हाईपर टेंशन के मामले आम हैं। इस उम्र में होने वाली संतान में सबसे ज्यादा दिल की जन्मजात बीमारियों की समस्या सामने आ रही है। इनफर्टिलिटी की समस्या के मामले भी बढ़े हैं। कुल मिलाकर बढ़ती उम्र के साथ प्रसूति की समस्याएं बढ़ती जाती हैं।