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अलीमुद्दीन लिंचिंग केस में भाजपा नेता सहित 11 को उम्रक़ैद

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पिछले कुछ सालों में पूरे देश में अलग-अलग तरह से लिंचिंग की घटनाओं ने देश को शर्मसार किया था. गौरक्षा के नाम पर होने वाले इन हत्याओं के कारण पूरे विश्व में भारत की छवि नकारात्मक बनी है.
झारखंड के रामगढ़ में  लिंचिंग ( भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या) के चर्चित अलीमुद्दीन हत्याकांड के मामले में रामगढ़ की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी मुजरिमों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस तरह की घटनाओं में आया अब तक का यह पहला फ़ैसला है.
अदालत ने इस मामले में 11 मुलज़िमों (आरोपियों) को मुजरिम (दोषी) करार दिया था. जब दोषियों को कोर्ट ले जाया जा रहा था, तब सभी आरोपियों ने गेट पर जय श्री राम का नारा लगाया.
11 people guilty of life imprisonment in Alimuddin Murder case Ramgarh
अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में 12 मे से 11 आरोपियों को धारा 302 के तहत दोषी  करार दिया था. एक आरोपी को जुवेनाइल करार दिया गया.
झारखंड के रामगढ़ थाना क्षेत्र में 29 जून 2017 को स्थानीय बाजार टांड़ के समीप भीड़ ने  अलीमुद्दीन को गौमांस तस्कर बताकर जमकर पीटा उसकी मारुति वैन में आग लगा दी गई थी. बाद में अस्पताल ले जाते समय अलीमुद्दीन की मौत हो गई थी.
इस मामले में कुल 12 आरोपियों को पकड़ा गया था जो अभी न्यायिक हिरासत में हैं. इनमें गोरक्षा समिति के छोटू वर्मा, दीपक मिश्रा, छोटू राणा, संतोष सिंह, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी नित्यानंद महतो, विक्की साव ,सिकंदर राम, रोहित ठाकुर, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, कपिल ठाकुर, छोटू राणा हैं.

मृतक अलीमुद्दीन और भाजपा नेता नित्यानंद महतो


बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला कस्टडी में मौत का है. चूंकि वह गंभीर स्थिति में पुलिस द्वारा ले जाया गया था इसलिए यह पुलिस कस्टडी में मौत का मामला है. हम अगले 60 दिनों में हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
सरकारी वकील एसके शुक्ला ने कहा कि यह देश में लींचिंग का पहला केस है, जिसमें दोषी करार दिया गया है.
इलाज के लिए रांची ले जाने के क्रम में अलीमुद्दीन की मौत हो गयी थी. जिसके बाद  अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून ने इस मामले में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस हत्याकांड में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोगों पर सुनियोजित तरीके से अलीमुद्दीन की हत्या करने का आरोप लगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई के लिए एडीजे द्वितीय आरबी पाल की अदालत में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया. हाइकोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की सुनवाई चली.