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केंद्रीय मंत्री ने पेश की देश में भिखारियों के सम्बंध में ये रिपोर्ट

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संविधान के अनुसार भीख मांगना अपराध है. किन्तु गरीबी, शारीरिक या मानसिक विक्षप्ति के कारण लोग भीख मांगने पर मजबूर हैं.भारत एक विकासशील देश है और अभी भी यहां की लगभग 40 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है.
केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलौत ने लोकसभा में भिखारियों की संख्या को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है.रिपोर्ट के मुताबिक भारत में चार लाख 13 हजार 670 भिखारी हैं.दो लाख 21 हजार 673 पुरुष हैं, जबकि एक लाख 91 हजार 997 महिलाएं हैं.
भिखारियों की इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है.वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तीसरे नंबर पर बिहार है.पश्चिम बंगाल में भिखारियों की संख्या 81 हजार बताई गई है.
पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 65,835, तीसरे नंबर आंध्र प्रदेश में 30,218, चौथे नंबर पर बिहार में 29,723 और पांचवे नंबर पर मध्य प्रदेश में 28,695 भिखारी हैं. इतना ही नहीं संसद में पेश किए गए इस रिपोर्ट के अनुसार असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में महिला भिखारियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है.
इस लिस्ट के अनुसार केन्द्र शासित प्रदेश लक्ष्यद्वीप में सबसे कम केवल दो भिखारी हैं. वहीं दादर व नगर हवेली में 19, दमन व दीव में 22 और अंदमान निकोबार द्वीप समूह में 56 भिखारी हैं. वहीं केन्द्र शासित प्रदेश में से दिल्ली में सबसे ज्यादा 2187 भिखारी हैं जिसके बाद चंडीगढ़ में 121 भिखारी हैं. इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में से असम में भिखारियों की संख्या 22,116 सबसे अधिक है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में से मिजोरम में सबसे कम 53 भिखारी हैं.
एक प्रश्न के जवाब में गहलोत ने कहा कि इन भिखारियों को उनकी क्षमतानुसार अनुसार रोजगार दिया जाएगा.उन्होंने कहा कि सर​कार इस तरह के बेघर और बेसहारा भिखारियों के हर संभव मदद का प्रयास कर रही है.
वही पिछड़े वर्गों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) से अपील की है कि खानाबदोश, भिखारियों, घुमंतू जाति और अनधिसूचित जनजातियों सरीखी श्रेणियों को अन्य पिछड़ा वर्ग के ‘अ’ समूह में शामिल करें.
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उप-समूहों में विभाजित करने के लिए एक आयोग का गठन किया था, ताकि समुदाय के सबसे पिछड़े लोग आरक्षण से अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें.बैकवर्ड क्लासेस (बीसी) कल्याण संघ के अध्यक्ष आर.कृष्णैया ने इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है.