क्या आज़म खान की जगह लेंगें अबु आसिम आज़मी?

Share

समाजवादी पार्टी ने 2022 के चुनावों की तैयारियों को शुरू कर दिया है। पार्टी के मुखिया खुद को सबसे मज़बूत विपक्षी नेता की तरह पेश कर रहे हैं। इसमें भी कोई शक नही है कि वो बहुत हद तक अपने आप को मजबूत नेता की तरह स्थापित कर रहे हैं। क्योंकि भाजपा को चुनौती देते हुए एक बड़े और मुखर चेहरे अखिलेश यादव ही हैं।

लेकिन फिलहाल उनके साथ एक बहुत बड़ा मसला है। उनकी पार्टी के सेनापति आज़म खान जेल में है और उनके बिना मुस्लिम समाज को पूरी तरह से विश्वास में लाया जाना आसान नही है। अब बिना मुस्लिम वोटों को लिये समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश में वजूद कितना रह जाता है ये जगजाहिर है।

इसलिए अखिलेश यादव ने इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है। उन्होंने महाराष्ट्र के सबसे मज़बूत सपाई नेता और विधायक अबु आसिम आज़मी को यूपी आने का बुलावा भेजा है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि वो पहले से ही यूपी से जुड़ाव रखते हैं और टीवी डिबेट्स में अकसर नज़र आते हैं। जिसकी वजह से उन्हें कबूल करना आसान काम है।

इस कदम की वजह क्या है?

दरअसल 2019 के चुनावों के बाद से आज़म खान जो प्रदेश में समाजवादी पार्टी का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा रहे हैं फ़िलहाल वो जेल में हैं और उनके जेल में रहने की वजह से ही मुस्लिम समाज के बीच अखिलेश यादव और उनकी पार्टी को लेकर मुस्लिम समाज मे नाराज़गी देखी भी गयी थी।

बस इस उलझन से बचने के लिए अखिलेश यादव ने अपना ये दांव खेला है जिसके लिए समाजवादी के दिग्गज नेता को यूपी बुला लिया गया है और आने वाले 6 महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी से लेकर सुझाव तक कि ज़िम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है।

एक तीर से दो निशाने?

अब जब आज़म खान की गैरमौजूदगी में एक बड़े नेता कक बुलाया जाना या मुस्लिम नाम का पार्टी में होना ज़रूरी है तो फिर महाराष्ट्र ही के नेता को क्यों यूपी बुलाया गया है ? ये भी एक अहम सवाल है। क्योंकि समाजवादी पार्टी में पूर्व केबिनेट मंत्री शाहिद मंज़ूर, विधायक महबूब अली और कमाल अख्तर जैसे मुस्लिम नेता मौजूद हो तब भी ऐसा किया जाना हैरानी ज़रूर पैदा करता है।

इस स्थिति पर यूपी की राजनीति की समझ रखने वाले खालिद इक़बाल कहते हैं कि “दरअसल अखिलेश यादव को पार्टी में चल रही गुटबाजी का अंदाज़ा है इसलिए उन्होंने किसी भी एक गुट को तरज़ीह दिए जाने से बेहतर ये समझा कि ऐसे नेता को ये ज़िम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिसका विरोध किया जाना आसान न हो और जिसको “नेता” भी कबूल कर लिया जाए बस इसलिए आज़मी साहब को महाराष्ट्र से बुलावा आया है।”

Exit mobile version