नई दिल्ली :- उरी में मिलिट्री बेस में हुए आतंकी हमले के चार दिन बाद भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को विदेश मंत्रालय तलब किया. उन्होंने अब्दुल बासित के सामने उरी हमले से जुड़े तथ्यों को रखा और इसमें पाकिस्तान की भूमिका को लेकर चिंता जताई गई. यह पहला मौका है जब डिप्लोमेटिक चैनलों के जरिए भारत ने उरी हमले की बाबत पाकिस्तान से शिकायत की है. विदेश मंत्रालय ने ने आतंकवादियों के शव से मिले जीपीएस का ब्योरा भी बासित को सौंपा जिसके जरिए वे अपने साथियों के संपर्क में थे. इस जीपीएस के ब्योरे से यह भी संकेत मिलता है कि आतंकवादियों ने किस स्थल से और किस समय नियंत्रण रेखा पार की तथा घटनास्थल तक पहुंचने का उनका रास्ता क्या था. आतंकवादियों के पास पाकिस्तानी निशान वाले हथगोले भी थे जो उरी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का सबूत है. हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे.
विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से कहा, ‘अगर पाकिस्तान की सरकार इन सीमा पार हमलों की जांच कराने की इच्छुक है तो भारत उरी एवं पुंछ हमलों में मारे गए आतंकवादियों के फिंगरप्रिंट और डीएनए नमूने प्रदान करने को तैयार है.’ जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के समर्थन और प्रायोजन से दूर रहने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर खरा उतरे. उन्होंने बासित को याद दिलाया कि पाकिस्तान ने जनवरी, 2004 में यह प्रतिबद्धता जताई थी कि ‘वह भारत के खिलाफ अपनी सरजमीं अथवा नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगा. इस हलफनामे का निरंतर और तेजी से हो रहा उल्लंघन गंभीर चिंता का विषय है.’
दूसरी तरफ पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुलबासित ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाना भारत बंद करे और बातचीत के जरिए मसलों को सुलझाने का प्रयास करे.
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