ये मोदी और शाह की भाजपा है, इसको 'दाग अच्छे लगते हैं'

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जब सरकारी विभाग सत्ता की बांदी बन जाते हैं तो सुबूत भी सुबूत नही कहलाते . खुद आयकर विभाग ही अपने द्वारा जब्त की गयी चीजो पर संदेह करने लगता है क्योकि बिग बॉस ऐसा चाहते हैं.
आखिर येदियुरप्पा को क्यो न बचाया जाए वह दक्षिण में बीजेपी का एकमात्र जाना पहचाना चेहरा है. येदियुरप्पा भारतीय जनता पार्टी का वो क्षेत्रीय चेहरा थे जिसकी वजह से पार्टी ने 2008 में दक्षिण भारत में अपनी पहली सरकार बनाई थी. लिंगायत समुदाय से आने वाले येदियुरप्पा की सबसे बड़ी ताक़त है लिंगायतों का समर्थन जो 2019 में बीजेपी की बहुत बड़ी जरूरत है.
अब यह अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की बीजेपी है, यह बीजेपी वह बीजेपी नही है जो खनन घोटालों के आरोप में घिरने पर उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला करती है. अमित शाह ने भ्रष्टाचार के आरोपी येदियुरप्पा की ‘घरवापसी’ करवाई है इस भाजपा में घोटाले के आरोप आभूषण की तरह है अब इस बीजेपी को ‘दाग अच्छे लगते हैं’. ओर वैसे भी येदियुरप्पा को संघ का वरदहस्त प्राप्त है जब वह संघ से जुड़े 6 संगठनों को आवंटन में औने-पौने दाम पर जमीन दिलवाते हो तो उन्हें क्यो न बचाया जाए.
2012 में आईबीएन7’ ने पड़ताल की थी कि संघ से जुड़े 6 संगठनों को आवंटन में औने-पौने दाम पर जमीन दे दी गई. इसके अलावा आरएसएस से जुड़े सात नेताओं को भी इसका फायदा हुआ था. करीब 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा कीमत की जमीन महज एक-दो लाख रुपये में दे दी गई. इसका सबसे ज्यादा फायदा संघ से जुडी संस्था राष्ट्रोत्थान परिषद को मिला.
बेंगलूरु के सदाशिवनगर में 846 वर्ग मीटर की जगह 30 साल की लीज पर महज 43 रुपये में दे दी गई. जबकि इसकी बाजार में कीमत करोड़ों में है. यही नहीं, येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री रहते हुए संघ से जुडी 5 और संस्थाओं को बीडीए की जमीन मुहैया कराई. इनमें जन सेवा विद्या केंद्र, संस्कार भारती, हिंदू जागरण वैदिक, महिला दक्षता समिति और अनंता शिशु निवास शामिल हैं. आखिर येदियुरप्पा ‘सबका साथ सबका विकास’ की ही नीति पर ही तो चले हैं तो उन्हें बचाना ही होगा न.

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