NIA ने अपनी तसल्ली करके बता दिया कि हदिया केस में लव था , जिहाद नही। याद रहे हदिया केस लव जिहाद के नाम पर कुप्रचारित किया गया था इसमे 2 एडल्ट्स ने अपनी मर्ज़ी से शादी की थी। यह इतना मामूली केस था कि जितना हल्का आप सबने ” ठीक है, ई हमको नाही, हम इनको लेके भागे है, ठीक है, नून रोटी खाएंगे” वाली वीडियो को लिया, उतना ही मामूली केस था।
2 एडल्ट्स अपनी मर्ज़ी से अदालत में आकर शादी कर रहे है तो सोचने वाली बात है कि वहाँ अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने पुलिस वालों के बीच कौन आदमी किसी भारत की महिला को चाकू के नोक पर रख सक़ता है।
बस मामला को तूल देने वाली बात थी, तूल मिल गया। इतने से केस में nia लग गयी, इधर जो असल जिहाद था (यानी पाकिस्तान का जासूसी जिहाद) उसमे भारत सरकार के ही 2 मुलाजिमों ने ही गद्दारी करके पाकिस्तान के जासूसी जिहाद को सफल बना दिया।
सोचिये भारत किन लोगों के हाथ मे जा रहा है जो एक प्रेमी जोड़े के पीछे बावड़े हो रहे है जबकि उनको सरहद पार से आती हुई गतिविधियों पर बावड़ा होना चहिये। इतनी मुस्तैदी अपने ही लोगो पर रख लेते तो ना बार बार गद्दार निकलते न बार जासूसी जिहाद सफल होता।