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सोनिया कर चुकी थीं शिलान्यास, मोदी कर रहे हैं कार्य शुभारंभ

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संभवत: यह देश में ये पहली बार होने जा रहा है कि, कोई भारतीय प्रधानमंत्री किसी सरकारी प्रोजेक्ट का ‘शिलान्यास’ न करके ‘कार्य शुभारंभ’ करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाड़मेर में देश की सबसे आधुनिक रिफाइनरी का ‘कार्य शुभारंभ’ करेंगे.
 
43 हजार करोड़ की लागत से एचपीसीएल और राजस्थान सरकार की संयुक्त परियोजना के तहत 4500 एकड़ जमीन में रिफाइनरी कम पेट्रो कैमिकल्स का निर्माण किया जा रहा है. परियोजना में एचपीसीएल का हिस्सा 74 फीसदी होगा, वहीं राजसथान सरकार की हिस्सेदारी 26 फीसदी होगी.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को रिफाइनरी के कार्य शुभारम्भ समारोह की तैयारियों का जायजा लिया.
शिलान्यासकी जगह कार्य शुभारंभक्यों
पूरा विवाद रिफाइनरी के शिलान्यास को लेकर है. दोनों पार्टिया इसके क्रेडिट को लेकर ये हो रहा है.
2013 में जब विधानसभा चुनाव आचार संहिता लगने वाली थी. तब उससे ठीक पांच दिन पहले कांग्रेसी सरकार ने सोनिया गांधी को बुलवाकर रिफाइनरी  के  शिलान्यास का आयोजन करवा दिया था.
फिर आचार संहिता के कारण प्रोजेक्ट टल गया. लेकिन अब  प्रदेश चुनावों से ठीक पहले, भाजपा ने इस रिफाइनरी के जिन को बोतल से बाहर निकाल दिया है.
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि, जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास पहले ही हो चुका है, अब दोबारा उसी प्रोजेक्ट का शिलान्यास क्यों किया जाए. नाम पर विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने कार्यक्रम का नाम शिलान्यास से बदलकर कार्य शुभारंभ कार्यक्रम कर दिया. प्रचार के लिए राज्य सरकार की तरफ से बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगा दिए गए हैं. भाजपा चेतना रथ निकाल कर पूरे राज्य में इस प्रोजेक्ट का प्रचार गाजे-बाजे के साथ कर रही है.

प्रदेश  के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस रिफाइनरी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिख कर बता भी चुके हैं कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2013 में ही इसका शिलान्यास कर चुकी हैं.
इसके बाद ही  प्रदेश की भाजपा सरकार ने विवादों से बचने के लिए शिलान्यास की जगह ‘कार्य शुभारंभ’ नाम का इस्तेमाल किया.
 गहलोत का आरोप है कि भाजपा सरकार ने इस रिफाइनरी को चार साल देर से शुरू करवा कर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है. गहलोत का कहना है कि समारोह का नाम बदल कर मुख्यमंत्री राजे अपना चेहरा बचाना चाहती हैं.

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