हाल के दिनों में संविधान और दलितों पर बढ़ते हमलों के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को ‘संविधान बचाओ’ अभियान की शुरुआत करेंगे. इसकी शुरुआत यहां के तालकटोरा स्टेडियम में सुबह 10:30 बजे होगी.
यह अभियान अगले साल बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक चलेगा. राजनीतिक विश्लेषक इसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दलित समुदाय के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं.
- इसमें कांग्रेस का ज़ोर ये बताने का रहेगा कि ख़ासतौर पर दलितों के हकों को लेकर किस तरह से संविधान पर चोट की जा रही है. उसे उनके सामने लाया जाए.
- पंचायत और स्थानीय निकाय और ज़िला स्तर के पार्टी पदाधिकारियों के साथ-साथ कई कार्यकर्ता शामिल होंगे. जो अपने –अपने क्षेत्र में दलित एवं आदिवासी समुदाय के लोगों से संपर्क साधेंगे.
- कांग्रेस के वर्तमान एवं पूर्व सांसद, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं और पंचायत समितियों में पार्टी के दलित समुदायों के प्रतिनिधि और पार्टी की स्थानीय इकाइयों के पदाधिकारी भी इसमें भाग लेंगे.
इसकी शुरुआत के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे आदि भी शामिल हो सकते हैं.
इस अभियान की शुरुआत में भाग लेने वाले तमाम कांग्रेसियों को अपने-अपने इलाक़े में जाकर ये संदेश फैलाने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी कि किस तरह से कांग्रेस उनके हक़ों के लिए लड़ रही है. इसके लिए यह अभियान अलग-अलग राज्यों में भी चलाया जाएगा.
हाल के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मद्देनज़र कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया है. इसके बाद 2 अप्रैल को बुलाए गए देशव्यापी बंद में बड़े पैमाने पर दलित सड़कों पर उतरे.
कांग्रेस को लगता है कि दलितों की आवाज़ को उठा कर ही वह अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन हासिल कर सकती है. इसलिए वह दलितों के बीच जाकर ये बताने की कोशिश करेगी कि आख़िर कांग्रेस ने उनके लिए क्या किया और आगे क्या कर सकती है.
इस रैली को देश में बढ़ते अविश्वास और अहिष्णुता के खिलाफ बताया गया है. इससे पहले कांग्रेस ने 9 अप्रैल को इसी मुद्दे पर देशव्यापी उपवास का भी आयोजन किया था. कुल मिला कर कांग्रेस 2019 की तैयारी में जुट गई है.
कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख विपिन राउत ने एक बयान में दावा किया कि आरएसएस समर्थित बीजेपी जब से केंद्र की सत्ता में आई है, किसी न किसी तरीके से देश के संविधान पर हमले होते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इससे समाज के वंचित तबकों को उनके संवैधानिक अधिकार नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी-आरएसएस अनुसूचित जातियों और जनजातियों समेत समाज के दूसरे कमजोर तबकों को मिली सामाजिक सुरक्षा को भंग करना चाहती है.