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कविता – रास्ते का सबक मंज़िल का पैगाम होता है

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आदमी से बड़ा आदमी का काम होता है
जैसे राम से बड़ा राम का नाम होता है
शक्ल से खुलता नही वजूद किसी का
सूरत का नही ज़माना हुनर का गुलाम होता है
काम से ही मिलती है पहचान सभी को
खास बन जाये शख्स जो आम होता है
रास्ता लंबा पांव छोटे है तो क्या हुआ
छोटी छोटी कोशिशों का बड़ा अंजाम होता है
सदियों से बड़ा होता है एक कदम फासला
करीब -मंज़िल के आके ठहरना हराम होता है
जो नाकामियों से गुजरे रहनुमा हो गये
रास्ते का सबक मंज़िल का पैगाम होता है
काबिलियत मोहताज होती है नतीजो की
हर दौर में कामयाबी को सलाम होता है
~ A.S. Chauhan

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