लेखक – डॉ कविता सिंह
2014 में जर्मनी के एक एनजीओ Wash United ने मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे शुरू किया था और आज इसके 270 ग्लोबल पार्टनर है .इनका उद्देश्य मेंस्ट्रुअल यानि की मासिक धर्म के सभी मिथक को तोडना और साफ़ सफाई में जागरूकता फैलाना है.
विकासशील देशो में मासिक धर्म को लेकर बहुत सी मान्यताये और भ्रांतिया है जिनसे भारत भी अछूता नहीं है . भारत में भी पीरियड में औरत को अछूत माना जाता है. बहुत सी जगह रसोई में जाना, पूजा पाठ में मनाही, पीने के पानी की जगह नहीं जाना, अलग बर्तन में खाना मिलना ये सब होता है.
खैर ये तो धार्मिक बाते है ,जिनसे मेरा कोई सरोकार नहीं, हो सकता है की उस समय कुछ ऐसी दिक्कते रही हो जिनके कारण ये रीती या कुरीति बनी हो, इसे समय के साथ दूर करना जरुरी है.
बहुत से नए उम्र के लडके इसके विषय में जानते नहीं है और घरो में ये सब पर बोलना पाप है. लड़कियों को अपनी माँ और बड़ी बहनो से इसके बारे में जानकारी मिलती है, जिसका वो पालन करती है. नया नया पीरियड आने पर बेचारी एकदम डरी होती हैं, दिमाग आउट ऑफ़ आर्डर हुआ रहता है, पेट में भयंकर दर्द होता है और उस पर नाना प्रकार की रीतिया भी होती है.
खैर इसपर मै और क्या कहु, एक बार यही एक महिलाओ के ग्रुप में पोस्ट किया था की सभी को अपने अंडर गारमेंट्स धूप में खुले में सुखाने चाहिए वरना इंफेक्शन हो सकता है. 98 % महिलाओ ने इसका समर्थन किया लेकिन 2 % जाहिल गंवार औरते थी जिन्होंने इसे सीधे भारतीय संस्कृति से जोड़ दिया और इसका विरोध किया. इन्ही जैसो की लड़किया फंगल इंफेक्शन और वैजाइना इचिंग जैसी दिक्कत में हमारे पास आती है.
खैर कुछ बाते गौर करनी चाहिए
- पीरियड में डेली नहाना चाहिए , प्राइवेट पार्ट को माइल्ड सोप या डाइल्यूट डेटोल से धोना चाहिए
- इस समय इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है तो टॉयलेट खास तौर से पब्लिक टॉयलेट साफ़ और सूखा यूज करना चाहिए
- हेवी ब्लीडिंग से घबराने की बात नहीं, ऐसे में पैड बारबार बदलना चाहिए .
- ऐसे समय के लिए पैंटी ही अलग रखनी चाहिए और उसे डेटोल और साबुन से धो कर धूप में अच्छे से सूखा कर रखनी चाहिए.
- अगर बदबू आये तो नीबू के रस या सोडा से धोने से बदबू चली जाती है , याद रहे किसी तरह का डियोड्रेंट या परफ्यूम का यूज वैजाइना पर नहीं करना चाहिए.
- डेली एक्सरसाइज करने वाली लड़कियों को पीरियड में दर्द कम होता है , डाक्टर की सलाह पर विटामिन डी , बी काम्प्लेक्स, आयरन और जिंक सप्लीमेंट लेना चाहिए.
- ज्यादा पानी पीना चाहिए
आजकल बहुत अवेयरनेस भी आ गयी है. मेरे फ्रेंड की बेटी ने अपने स्कूल के प्रिंसपल से शिकायत की, टॉयलेट में डस्टबिन नहीं है, आखिर हम पैड को कहाँ फेंके. प्रिंसपल से अगले दिन गर्ल्स टॉयलेट में डस्टबिन रखवाए और एनुअल फंक्शन में लड़की को सम्मानित भी किया.
मेंस्ट्रुअल पर शर्माने की जरुरत नहीं और न इसे टैबू बना के रखना चाहिए, लडके लड़कियों को सही जानकारी देनी चाहिए.