0

रेप की बढ़ती घटनाओं पर राहुल के बयान पर, हंगामा क्यों बरपा है?

Share

लोकसभा में 13 दिसंबर को, बलात्कार के संदर्भ में राहुल गांधी के एक बयान पर हंगामा मच गया था। हंगामा बलात्कार के अपराध के बढ़ने या बलात्कारियों को दंड देने, या बलात्कारियों को राजनीतिक संरक्षण न देने के मुद्दे पर मचता तो अच्छा होता। पर हंगामा मचा, देश को मेड इन इंडिया के बजाय रेप इन इंडिया कहने पर। जहां रेप इन इंडिया, के संबंध में यह बताने के लिए कि देश मे बलात्कार की घटनाओं में कितनी वृध्दि हुयी है या हो रही है, एनसीआरबी के आंकड़े ही पर्याप्त हैं। वही सरकार आज तक यह बताने और आंकड़े देने की स्थिति में नही  है, कि मेड इन इंडिया कार्यक्रम में कितने डॉलर का विदेशी निवेश आया है। हंगामा इतना मच गया कि स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के इस्तीफे की मांग कर ली। उन्होंने या तो राहुल गांधी का बयान ढंग से पढ़ा नहीं या वह परंपरागत राजनीतिक विरोध की औपचारिकता का निर्वाह कर रही थीं, यह बताना मुश्किल है।
अब प्रश्न उठता है, आखिर राहुल गांधी  ने रेप इन इंडिया की बात किस संदर्भ में कही थी और कहां कही थी? राहुल गांधी के रेप इन इंडिया के जिस बयान पर स्मृति ईरानी का हंगामा है। वह बयान है, क्या और किस तरह से आपत्तिजनक है, यह वे बता नहीं पा रही हैं। हम सब मूलतः पाखंडी स्वभाव के होते जा रहे हैं। हम जितने ही सार्वजनिक और प्रदर्शनीय स्थल या भूमिका में होते हैं उतना ही अधिक पाखंड का आवरण ओढ़ लेते हैं। अपराधों और पापों को ढंकने और उसे शब्दजाल से मढ कर, अपने अपने अपराध और अपने अपने पाप के खांचे में रख कर देखने के आदी हो चुके हैं।
जो बात राहुल ने कही है वही कभी मोदी जी ने भी कही थी, पर उसे अवतार का सुभधित समझा गया और आज राहुल के बयान पर हंगामा खड़ा कर संसद का समय नष्ट किया जा रहा है। राहुल के बयान पर हंगामे के बजाय सरकार अगर आंकडो से यह साबित करने की कोशिश करती कि देश मे बलात्कार बढ़ा नहीं है, और बलात्कार के अपराधों में सजायें भी कम नहीं हुयी है। तो यह सरकार का जिम्मेदारी भरा प्रोटेस्ट होता और जनता को भी तथ्य मालूम होता।
लेकिन चूंकि सरकार के पास आंकडो के अध्ययन करने और वैज्ञानिक रूप से निष्कर्ष पर पहुंचने का न तो कोई इरादा है, न उसके मंत्रियों में प्रतिभा है, न वे व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के प्रदूषित ज्ञान गंगा से बाहर आना चाहते हैं तो वे भला तार्किक विरोध कैसे कर सकते हैं।

अब संजय कुमार सिंह का यह उद्धरण पढ़ लें

आप बलात्कार के किसी भी मामले में बोल सकते हैं। आप ट्वीट दर ट्वीट करते रह सकते हैं। आप बलात्कार के मामले पर चुप भी रह सकते हैं। आप भाषण दे सकते हैं। आप रेप को रैप भी बोल सकते हैं। आप बलात्कारियों को पार्टी में रख सकते हैं।  आप बलात्कारियों की पार्टी में रह सकते हैं। आप बलात्कारी से मिलने जाने वालों को झेल सकते हैं। आप बलात्कार की कोशिश करने वाले के पिता को भी झेल लेते हैं। आप प्रचारकों से इसपर लेख लिखवा सकते हैं। उसमें आप राहुल पर बलात्कार के आरोप को याद कर सकते हैं। आप बाकी बहुत कुछ भूल सकते हैं। आप अपने भक्तों, शिष्यों, चौकीदारों के साथ हल्ला बोल सकते हैं। बस कोई दूसरा बलात्कार पर न बोले। ”

अब राहुल गांधी के जिस बयान को लेकर स्मृति ईरानी लोकसभा में आक्रामक थीं, उसे पढ़ लीजिए। राहुल गांधी का यह बयान, गोड्डा में दिए गए चुनावी भाषण का एक अंग है।


“नरेंद्र मोदी ने कहा था- मेक इन इंडिया।अब आप जहां भी देखो,अब मेक इन इंडिया नहीं…रेप इन इंडिया है। अखबार खोलो,झारखंड में महिला से बलात्कार,उत्तर प्रदेश में देखो तो नरेंद्र मोदी के विधायक ने एक महिला का रेप किया। उसके बाद उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है,नरेंद्र मोदी एक शब्द नहीं बोलते।हर प्रदेश में हर रोज़ रेप इन इंडिया। मोदी जी कहते हैं- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। मोदी जी, आपने ये नहीं बताया कि किससे बचाना है,  बीजेपी के एमएलए से बचाना है।”
अब अगर कोई चिन्मयानंद और कुलदीप सेंगर बलात्कार कांड के संबंध में स्मृति ईरानी का कोई बयान दिखा दें तो बड़ी कृपा होगी। और अब बलात्कार पर, प्रधानमंत्री जी का एक पुराना बयान भी पढ़ लें।
“आपने दिल्ली को जिस तरह से रेप कैपिटल बना दिया है।इस कारण पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की बेइज्ज़ती हो रही है।मां-बहनों की सुरक्षा के लिए न आपके पास कोई योजना है न ही कोई दम।आप विपक्ष के नेताओं को गालियां दे रहे हैं,झूठे आरोप लगा रहे हो।” यह बयान नरेंद्र मोदी जी ने 2014,में जब वे प्रधानमंत्री नहीं बने थे तब का है।
हंगामा मचना चाहिये था, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर, उसके त्वरित विवेचना और अदालतों में ट्रायल पर, फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाने पर, राजनीतिक दलों में बढ़ते हुए यौन शोषण के आरोपियों के प्रवेश पर, पर हंगामा मच रहा है, कि कोई सदस्य देश की असली समस्या से रूबरू क्यों करा रहा है ! कमाल की संसद, कमाल की सरकार है।

( विजय शंकर सिंह )