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मुस्लिम संगठनों ने कहा – मांस निर्यात पर रोक लगाईये मोदी जी !

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नईदिल्ली – देश भर में गौमांस और गौरक्षा संगठनों के सम्बन्ध में बहस चल रही है. इसी बहस में गाय के मांस के निर्यात में रोक लगाने की मांग भी जुड़ गई है. पर इस बार ये मांग किसी गौरक्षा समिति या आरएसएस से जुड़े संगठन ने नहीं बल्कि दिल्ली में संसद भवन के करीब मावलंकर हाल में मुस्लिम संगठनों ने एक साझा सम्मलेन कर इस मांग को रखा. ज्ञात हो पिछले कुछ समय से देशभर में गौरक्षा के नाम पर भय का वातावरण बनाने की कोशिशें की जाती रही है. गुजरात में दलित युवकों और कई स्थानों में अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों को गौमांस के शक में पीटने की खबरे आती रही हैं. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी ऐसी हरकत करने वाले संगठन के लोगों को नकली गौरक्षक और गुंडागर्दी करने वाले लोग कहा है.
मुस्लिम संगठनों के अनुसार- एक तरफ देशभर में गौरक्षा के नाम पर मुस्लिम एवम दलित समुदाय के युवकों को निशाना बनाया जा रहा है, वहीं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बूचड़खानों में उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों को सब्सिडी दे रही है. बीफ (गौमांस) का निर्यात किया जा रहा है, मुस्लिम संगठनों ने ये भी कहा कि देश के नागरिकों को निशाना बनाकर विदेशियों को गौमांस निर्यात करने का जो कार्य किया जा रहा है, इस पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए. ज्ञात हो पिछले दो वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा गौमांस निर्यातक देश बनकर उभरा है, इसकी एक वजह जो सामने आई है, वो यह है कि गौरक्षा के नाम पर आम मुस्लिम और दलितों की पिटाई कर ऐसा माहौल तो बना दिया गया है कि गौरक्षा हो रही है पर वास्तिवकता बिलकुल इसके उलट है. इस सब हल्ले के बीच देश से मांस निर्यात करने वाली कंपनियों को मोदी सरकार सब्सिडी दे रही है, इसमें सबसे ज्यादा अचंभित करने वाला पहलू ये है की ये मांस निर्यातक कम्पनियां मुस्लिमों एवं दलितों की नहीं हैं. बीफ निर्यात करने का यह कारोबार लगभग ३० हज़ार करोड़ रुपयों का है. जिसमे अल-कबीर नामक कंपनी सबसे अग्रणी है,इसमें चौंकाने वाला पहलू यह है की गल्फ को मांस निर्यात करने वाली इस कंपनी के भारतीय साझेदार उद्योगपति सब्बरवाल जी हैं, जिनकी धार्मिक पहचान मुस्लिम या दलित नहीं है. यही वो तथ्य हैं, की देश के सभी धार्मिक मुस्लिम संगठनों ने एक मंच पे आकर गौमांस के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की है !

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