पिछली यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर मोदी सरकार के रुख पर सवाल उठाया है. चिदंबरम ने कश्मीर में कठोर सैन्य कार्रवाई के बाद भी हालात बेहतर ना होने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है.
कांग्रेस नेता ने नए साल से पहले पुलवामा में CRPF कैंप पर आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि समय-समय पर हमें बड़ी निर्ममता से ये याद दिलाया जाता है कि जम्मू-कश्मीर राज्य से भी जुड़ा एक मुद्दा है.
3. On the eve of the election in Gujarat, the government appointed Mr Dineshwar Sharma as Special Representative (SR), but his mandate was not clear.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2018
5. It was claimed that the hard, muscular, militaristic approach will put an end to infiltration and militancy. Has it? pic.twitter.com/AkT6ESrbJe
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चिदंबरम ने सिलसिले वार कई ट्वीट किया, ‘इस तरह का वाकया 30-31 दिसंबर, 2017 की रात को हुआ, जब आतंकियों ने पुलवामा जिले के लेथपोरा स्थित CRPF ट्रेनिंग सेंटर पर हमला किया, जिसमें सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हुए और तीन घायल हो गए. गुजरात चुनाव से पहले सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को जम्मू-कश्मीर का विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया, लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया गया कि उनसे क्या करने को कहा गया है.’
1.From time to time we are rudely reminded that there is an issue concerning the state of Jammu & Kashmir.
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2. The last reminder came on the night of 30-31 December 2017, when militants attacked the CRPF Training Centre at Lethpora in Pulwama district killing five CRPF personnel and injuring three.
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कांग्रेस नेता के मुताबिक इसके बाद ये बताया गया कि दिनेश्वर शर्मा उन सभी से बातचीत के लिए तैयार हैं, जो उनसे मिलने के इच्छुक है. चिदंबरम ने सवाल किया, ‘ये दावा किया गया था कि कठोर और सख्त सैन्य गतिविधियों से घुसपैठ और आतंक का खात्मा होगा, क्या ऐसा हुआ?’
4. Subsequently, it was indicated that the SR will talk to anyone who was willing to meet him, and therein lies the catch.
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6. Wisdom lies in actively working to find a political solution to the issue of J&K. Both Mr A B Vajpayee and Dr Manmohan Singh will be remembered for their diligent efforts to find a solution to the issue.
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7. The way forward is to invite all stakeholders for talks.Unfortunately, the stakeholders have perceived the appointment of the SR as a pre-election gimmick and have totally rebuffed the good fellow.
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चिदंबरम के मुताबिक बुद्धिमानी इसमें होगी कि सक्रिय तौर पर जम्मू-कश्मीर मसले का राजनीतिक हल निकाला जाए. कश्मीर मसले का समाधान निकालने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी और डॉक्टर मनमोहन सिंह के कोशिशों को याद किया जाएगा. सभी पक्षों से बातचीत के जरिए ही आगे का रास्ता निकाला जा सकता है.
8. Still, all is not lost. I support the idea of interlocutors, but that step has to be part of a set of measures.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2018
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी भी सब कुछ नहीं खत्म हुआ है और वे सभी वार्ताकारों के विचारों का समर्थन करते हैं, पर ये कदम एक समग्र एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए.
9. If you are one of those who had thought that the hard, muscular, militaristic approach of the government should be given a chance, please look at the table once again. You may change your view.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 7, 2018
चिदंबरम ने एक टेबल का हवाला देते हुए सरकार कि वर्तमान नीति पर सवाल उठाया है. चिदंबरम ने पूछा है कि क्या मोदी सरकार की कठोर और सैन्यवादी नीति को मौका मिलना चाहिए.