कर्नाटक के उप चुनाव में पांच में से चार सीटे पर पीछे रह कर बीजेपी के लिये तीन बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. बीजेपी बेल्लारी लोकसभा सीट पर भी बड़ी हार हुई है जो रेड्डी भाइयों का गढ़ माना जाता है और वो बीजेपी के लिये पानी की तरह पैसा बहाते हैं.
पहली सबसे बड़ी मुश्किल है कि कांग्रेस के गठबंधन से बीजीपी अब अकेले नहीं लड़ सकती. इन नतीजों के बाद मोदी-अमित शाह के सामने बड़ी चुनौती होगी कि मौजूदा गठबंधन को किसी तरह बचाये रखे और विस्तार भी करे. इन दोनों उद्देश्यों में राम मंदिर एक बड़ी रुकावट बनेगा. वैचारिक पार्टनर बीजीपी के पास सिर्फ शिव सेना और अकाली दल हैं.
दूसरा प्रमुख पहलू है – इन नतीजों के साथ ही अमित शाह और मोदी के खास येदियुरप्पा की राजनीतिक पारी का अंत हो गया. 75 के हो चुके येदियुरप्पा पर तमाम नेताओं को नाराज़ कर के मोदी ने दांव खेला था. ये उनकी तीसरी विफलता है. 2019 के चुनाव मे वो बीजेपी के लिये कर्नाटक में क्या पाएंगे दिख ही गया.
तीसरा और सबसे अहम पहलू है उत्तर के तीन बड़े राज्यों में अगले कुछ सप्ताह के भीतर ही चुनाव हैं – राजस्थान, मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार और चुनौती कांग्रेस से है. हालांकि दक्षिण और उत्तर के राजनीतिक समीकरण मेल नहीं खाते हैं पर ऐसी बुरी हार बीजेपी के मनोबल पर असर डालेगी. महंगाई, पेट्रोल की कीमत, घोटालों की वजह से बीजेपी पहले ही रक्षात्मक मुद्रा में है.
इन नतीजों ने मोदी की ताकत को निश्चित तौर पर और कम किया है. समय कम है उनके पास और फासला बढ़ रहा है.