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अपनों के प्रति आपकी असहिष्णुता उनको बीमार बना सकती है

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पिछले महीने क्लिनिक पर एक पेशेंट आई थी। 20 साल की थी। मम्मी के साथ। एक मोटी सी फाइल भी थी विभिन्न जांचों की। उसे तकरीबन 5 अलग अलग प्रॉब्लम्स थीं। एक के बाद एक सुनने के बाद जो एक बात मुझे समझ आयी, कि बेशक उसे तमाम शारीरिक समस्याएं हैं स्पष्ट, पर सबके तार मन से जुड़े हैं। गहन अवसाद या डिप्रेशन में थी वह।
भूख, नींद, मोशन, बॉडी लैंग्वेज आदि सबका पैटर्न इस ओर साफ़ इशारा कर रहा था।
मैंने सीधा सवाल उससे यही पूछा, क्या कोई चिंता या तनाव है? घरेलू, व्यक्तिगत या कैरियर सम्बन्धी? इस पर उसकी मम्मी तपाक से बोलीं-“इसे क्या चिंता करना है? इसको तो सबको टेंशन देना है बस। और कैरियर तो आप पूछो मत। इससे ब्राइट फ्यूचर तो उस ढिंचक पूजा का है।” और एक बेढब सा कहकहा लगाया। कोई और मौका होता तो इस pj को हल्के में ले लेती मैं। पर अपनी खुद की बेटी पर किसी अपने द्वारा किसी अजनबी के सामने ऐसी बेहूदी टिप्पणी मुझे बेहद खली।
बहरहाल उसकी माताश्री को सादर बाहर भेजकर डिटेल्ड हिस्ट्री ली। उसकी वृत्तांत तो नहीं शेयर करना चाहूँगी। पर कुल 4 मेडिसिन्स के साथ उसे हमारी 2 किताबें दीं। ध्यान करने को कहा, और अपना नम्बर देकर कहा हर तीसरे दिन मुझे अपडेट बताये कितना आराम लगा लक्षणों में। मकसद उससे निरन्तर सम्पर्क में रहना और धीरे धीरे सकारात्मक करना था। एक साथ प्रवचन का ओवरडोज़ असर नहीं करता है।
आज वह अपने पिता के साथ आई थी। 4 समस्याएं उसकी 80% के करीब ठीक हो गयी थीं। उसके पापा ने कहा भी, 3 अलग अलग जगह का इलाज लेने के बाद भी इतनी जल्दी आराम नहीं लगा था 4 दवाओं में जितना असर था। खैर…….
दरअसल हमारा शरीर कोई मशीन नहीं है, जिसके एक पुर्ज़े को खोलकर रिपेयर कर दिया जाये। शरीर और मन अलग अलग नहीं बल्कि एक ही यूनिट हैं। दोनों को अलग अलग नहीं किया जा सकता।
यंगस्टर्स को समझना मुश्किल है नामुम्किन नहीं। पता नहीं पूरी दुनिया की नज़रों में सफलता के प्रतीक लोग अपने घरवालों, अपने जीवनसाथी, अपने बच्चों के प्रति इतने असंवेदनशील, इतने असहिष्णु क्यों हो जाते हैं।
एक बात ध्यान रखें, बच्चे कई बार सीधे बात करने से बचते हुए किसी और के नाम से कोई घटना, कोई दुविधा या कोई उलझन शेयर करते हैं और आपका रियेक्शन भाँपना चाहते हैं। आपकी अतिरेकपूर्ण प्रतिक्रिया बहुत घातक भी हो सकती है। इसलिए कोई बात अनुचित भी लगे तो बिना आपा खोये संतुलित प्रतिक्रिया दें।
और हाँ, प्लीज़ प्लीज़ अपने बच्चों और अपने लाइफ पार्टनर की बातें ध्यान से सुनने का समय निकाल लें। आगे चलकर इसका फायदा आपको ही होगा, यकीन मानें………

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