यूपी चुनाव 6 महीने करीब दूर रह गया है,सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है, सपा एक तरफ साइकिल यात्रा निकाल रही है वहीं दूसरी तरफ बसपा “ब्राह्मण” सम्मेलन करा रही है। इसके अलावा भाजपा अपने बीते कार्यकाल में किये गए कामों पर माहौल बना रही है।
लेकिन एक दल के एक नेता ऐसे भी हैं जो भाजपा के साथ मिल कर बिहार में सरकार चला रहे हैं और मंत्री भी हैं। लेकिन उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वो उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेंगें।
ये साथी मंत्री हैं मुकेश साहनी,जो बिहार की नीतीश कुमार सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और विकासशील इंसान पार्टी(वीआईपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साहनी जी ने आपकी उपस्थित तब दर्ज कराई जब वो फूलन देवी की जन्मतिथि पर उनकी मूर्तियों को स्थापित करने उत्तर प्रदेश पहुंच गए थे।
कौन हैं मुकेश साहनी
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष और “सन ऑफ मल्लाह” नाम से फेमस मुकेश साहनी के इस ऐलान ने भाजपा के लिए दोहरी समस्या का मुद्दा बना दिया है,क्योंकि एक तरफ तो ये भाजपा के सहयोगी बिहार की राज्य सरकार में मंत्री हैं और दूसरी तरफ वो बिहार में अपनी पार्टी का अलग वजूद रखते हैं और ये भाजपा के लिए खतरे की घण्टी भी है।
मुकेश साहनी ने खुलेआम उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है उन्होंने कहा है कि “हम 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे वहीं खासतौर पर 165 सीटों पर हम अपना खास ध्यान केंद्रित किये हुए हैं,सपा और बसपा से एक प्रतिशत भी चुनौती नही है हमारे लिए।”
फूलन देवी और उनके समाज के वोट बैंक यानी “मल्लाह” समाज पर हक़ जमाने वाले मुकेश साहनी क्या कर पाएंगे क्या नहीं ये अभी देखना बाकी है। क्योंकि 165 सीटों पर चुनाव लड़ना एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है,और एक राज्य की छोटी पार्टी के लिए इस तरह से बड़ा चुनाव लड़ना आसान काम नही है।
क्या हो सकती है वजह इस फैसले की
मुकेश साहनी मौके की नजाकत को देख कर राजनीति करने वाले शख्स हैं,2020 के विधानसभा चुनावों से पहले वीआईपी के अध्यक्ष महागठबंधन के साथ थे और यहां तक कि सीटों के बंटवारे के वक़्त वो प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी साथ थे।
लेकिन उनके मन मुताबिक सीटें नहीं मिल पाने के कारण उन्होंने महागठबंधन का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ गठबंधन में जाने का ऐलान कर दिया था।
चुनावों के वक़्त सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार जाने के बावजूद उन्हें एमएलसी बना कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। क्यूंकि वो भाजपा और नीतीश कुमार गठबंधन में वो एक मज़बूत साथी थे।
अब मौजूदा स्थिति में मुकेश साहनी का ये फैसला भाजपा आलाकमान के लिए चिंता का विषय ज़रूर है,क्यूंकि “सन ऑफ मल्लाह को नजरअंदाज करना आसान काम नही है।