आदिवासियों की अनदेखी बनी राजस्थान उपचुनाव भाजपा की हार की वजह

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धरियावद विधानसभा उपचुनाव में क्षेत्रीय आदिवासी नेताओं की लगातार अनदेखी बनी भाजपा की हार का बड़ा कारण। अपने संगठन की शक्ति के लिए जानी जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की राजस्थान की धरियावद विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हारने का क्या कारण हो सकता है?

दरअसल धरियावद में भाजपा के संगठन में सेंध लग चुकी थी, क्षेत्र के आदिवासी नेताओं को ताक पर रखना और एक हारे हुए नेता को चुनाव प्रचार की कमान देना ही भाजपा को महंगा पड़ गया, साथ ही राजस्थान की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे सिंधिया की भी सुनवाई नहीं हुई।

क्षेत्रीय सांसद व आदिवासी नेता अर्जुन लाल मीणा की लगातार अनदेखी व सांसद द्वारा कराए गए कामों को जनता तक ना पहुँचा पाना भी भाजपा की बहुत बड़ी कमी रही।

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी यहां वह उत्साह नहीं दिखा, जो पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। सूत्रों की माने तो यह सीट भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान व आदिवासी समुदाय के पर्याप्त समर्थन न मिलने से ही भाजपा के हाथ से फिसल गयी, जबकि लोकसभा चुनावों व पिछले विधानसभा चुनावों में आदिवासी समुदाय का समर्थन यहां भाजपा की जीत का बड़ा कारण बने थे।

ऐसे में यह माना जा रहा है कि आदिवासी नेताओं की लगातार उपेक्षा व आदिवासी समुदाय की नाखुशी की बड़ी कीमत हार के रूप में भाजपा को चुकानी पड़ रही है।