भारत को देखने के लिए विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती – पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 21 अक्टूबर को लाल किले में आयोजित होने वाले झंडारोहण समारोह में शामिल हुए और पीएम मोदी ने इस दौरान लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया.
ज्ञात होकि  21 अक्टूबर को लाल किले पर झंडारोहण करने करने के साथ, यह करने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये हैं.

इस मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा

  • नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी. मां भारती को गुलामी की जंजीर से आजाद कराना. यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था.
  • उन्होंने कहा कि भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है. इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया.
  • देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी.
  • उन्होंने कहा कि कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि – “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है.
  • मोदी ने आगे कहा कि आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती.

इस कार्यक्रम के मद्देनजर लाल किला के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे. आज सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया. इस कार्यक्रम में नेताजी सुभाष चंद्रबोस के परिवार के लोग भी शामिल हुए.

नेता जी द्वारा आज़ाद हिंद सरकार का गठन किया गया था

  • सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद सरकार का गठन 21 अक्टूबर 1943 को किया गया था. आजाद हिंद सरकार ने देश से बाहर अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आजादी की लड़ाई में एक तरह से परोक्ष रूप से अहम भूमिका निंभाई थी.
  • इसका नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस कर रहे थे. जर्मनी से एक ‘यू बॉट’ से दक्षिण एशिया आए, फिर वहां से जापान गये. जापान से वें सिंगापुर आये जहां आजा़द हिन्द की आस्थाई सरकार की नींव रखी गयी.
  • साल 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रातीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी. उस समय 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी.
  • उस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे.
  • इसके अलावा आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी.
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