उपचुनावों में हार के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्या के विरुद्ध भाजपा के अंदर से ही आवाज़ उठने लगी है. एक बाद एक बयान भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे हैं. जिसमें योगी और मौर्या को अब भी पड़ में रखना बेवकूफी बताया जा रहा है.
यह पहला मौका है, जब उपचुनाव में हार के बहाने मोदी-शाह की जोड़ी को एक साथ इतने हमलों से दो-चार होना पड़ा है. इससे पहले बिहार चुनाव में हार के समय भी कुछ नेता बीजेपी नेतृत्व के फैसलों पर सवाल उठ चुके हैं. हालांकि वह मुख्य चुनाव था, जबकि इस बार उपचुनाव में हार के बाद पार्टी के अंदरखाने घमासान मची है.
आज़मगढ़ से भाजपा नेता रमाकांत यादव ने योगी पर दलितों और पिछड़ो की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि अगर पार्टी नहीं चेती 2019 में इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा.
रमाकांत यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘प्रदेश में सीएम बना तो लगा कि अब सबकी चिंता की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ’. पिछड़ों और दलितों को हक न दिए जाने के चलते ऐसा हुआ है.
यादव ने कहा विशेष जाति को लेकर सरकार का कड़ा रुख दिखा. पिछड़े और दलितों के साथ जो किया जा रहा है, उसका परिणाम 2019 में दिखाई देगा. यदि सभी को लेकर चलेंगे तो इसकी भरपाई की जा सकेगी.
रमाकांत के बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बिना नाम लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा. स्वामी ने कहा कि जो लोग अपनी सीट भी नहीं जीत पा रहे हैं, ऐसे लोगों को बड़ा पद देना लोकतंत्र में आत्महत्या करने जैसा है. जनता में जो लोग लोकप्रिय हैं, वो किसी पद पर नहीं हैं, इन चीजों में बदलाव होना चाहिए.
अब देखना ये है, कि भारतीय जनता पार्टी किस तरह का रवैया अपनाती है, क्योंकि सांसद सुब्रमण्यम स्वामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबियों में से माने जाते हैं. देखना ये है कि अपने घर से ही उठ रही इन आवाजों भाजपा और अमित शाह किस तरह निपटते हैं.