गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने EVM मशीन से वीवीपीएट भी निकल कर दी गई. यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके.
अब इस इसका कोई फायदा नही क्योंकि , इलेक्शन कमीशन गुजरात में evm छेड़खानी को vvpat प्रयोग के नाम पर नकार रहा था, अब ec का कहना है कि vvpats की गणना नहीं की जाएगी और sc ने भी 25 प्रतिशत की vvpats की गणना को खारिज कर दिया तो vvpats का अब क्या ही उपयोग राह गया है? इसकी जानकारी दी जाने माने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट द्वारा.
The EC tried to allay fear of EVM manipulation by saying that paper trail in the shape of VVPATs were being used in Guj. Now EC says paper trail in VVPATS will not be counted. And SC refuses to order counting in even 25%. What's the use of VVPATS then? https://t.co/EoQSG7iYtS
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 15, 2017
ज्ञात रहे, गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में EVM मशीन के छेड़छाड़ के आरोप कांग्रेस द्वारा लगाये गये थे.
वीवीपीएट की व्यवस्था क्यों की गई.
वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट) व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद काग़ज़ की एक पर्ची बनती है.
इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है.