अगस्त के महीने में कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने और सुरक्षा प्रतिबंध लगाये जाने के बाद यूरोपीय 30 यूरोपीय सांसद मंगलवार को कश्मीर का दौरा करेंगे। इनमें से अधिकतर सांसद यूरोप के कट्टर दक्षिणपंथी राजनीतिक पार्टियों के सदस्य हैं। प्रतिबंध लगाये जाने के बाद कश्मीर जाने वाला यह पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल है।
ज्ञात होकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 5 अगस्त को कश्मीर से धारा 370 को अप्रभावी करके समाप्त कर दिया था। जिससे कश्मीर को मिलने वाला स्वायत्ता का विशेष दर्जा समाप्त हो गया था।
भारत सरकार द्वारा समर्थित इस यात्रा के संबंध में यूरोपीय संसद और यूरोपीय यूनियन का शामिल न होना राजयनिक संदेह पैदा करते हैं। नई दिल्ली में कई यूरोपीय दूतावास सोमवार तक यात्रा से अनजान थे।
कश्मीर जोकि भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच लगातार विवाद का केंद्र बना हुआ है, पिछले तीन दशकों से अशांत है, नई दिल्ली के हिमालयी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के कदम के बाद से ही कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है।
अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल अलजज़ीरा की वेबसाईट में छपी खबर के अनुसार – भारत में यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “MEPs का प्रतिनिधिमंडल भारत में किसी आधिकारिक यात्रा पर नहीं है बल्कि यह एक गैर-सरकारी समूह के निमंत्रण पर आया है।”
“हम उनकी किसी भी बैठक का आयोजन नहीं कर रहे हैं।”
यूरोपीय संघ की विदेश मंत्री फेडेरिका मोघेरिनी ने इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ कश्मीर में “मौलिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध” का मुद्दा उठाया था।
वहीं भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहा था, कि यह क़दम कश्मीर में मिलीटेंसी को बढ़ावा देगा। जिसके कारण मुस्लिम युवाओं का झुकाव चरमपंथ की ओर बढ़ेगा।
कश्मीर मसले के कारण दो परमाणु सम्पन्न देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, इससे पहले भी 3 में से 2 बार युद्ध छिड़ गया था।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि 11 देशों से आए 27 राजनेताओं का यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल सरकारी अधिकारियों और निवासियों के साथ बैठक करेगा।
Interesting facts about the EU MPs visiting Kashmir tomorrow. My colleagues @KhyatiRajvanshi and @SreenivasanJain report that 22 out of the 27 MPs are affiliated to European far right parties including Le Pen’s party and the Brexit party.
— Nidhi Razdan (@Nidhi) October 28, 2019
यह यात्रा अमरीकी सांसदों की उस आलोचना के बाद हो रही है, जिसमें उन्होंने विवादित क्षेत्र में राजनयिकों और विदेशी मीडिया की पहुंच में कमी पर चिंता व्यक्त की थी।
अंग्रेज़ी अखबार द हिन्दू के अनुसार – 5 अगस्त के बाद से ही सरकार ने विदेशी पत्रकारों को कश्मीर की स्थिति को कवर करने पर प्रतिबंध लगा रखा है। मानवाधिकार परिषद में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र की यात्रा करने से उन्हे रोकने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार – सोमवार को यूरोपीय संघ के सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की, जिसके नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा यह यात्रा उन्हें क्षेत्र की विकास प्राथमिकताओं का एक स्पष्ट दृष्टिकोण देगी।
1989 में कश्मीर में हुए सशस्त्र विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कश्मीर में उठाया गया ये क़दम बड़ा राजनीतिक क़दम है। जिसमें उन्होंने कश्मीर के उस स्पेशल स्टेटस को समाप्त किया, जिसके कारण कश्मीर से बाहर के लोगों को कश्मीर में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं था।
जम्मू और कश्मीर राज्य, जैसा कि आधिकारिक तौर पर उसे जाना जाता था, अगस्त में दो केंद्र प्रशासित क्षेत्रों – जम्मू और कश्मीर व लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “जम्मू और कश्मीर की उनकी यात्रा प्रतिनिधिमंडल को जम्मू और कश्मीर व लद्दाख के क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता की बेहतर समझ देगी।”
एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा दूसरों के दौरे का द्वार खोलेगी। कश्मीर मुद्दे पर भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का मुकाबला करने की पूरी कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद ने नई दिल्ली पर कश्मीर में नरसंहार करने का आरोप लगाया है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, अगस्त के बाद से हिरासत में लिए गए नेताओं में से एक हैं, उन्होंने ट्विटर पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राजनेताओं को प्रवेश दिया जाएगा। “उम्मीद है कि उन्हें स्थानीय लोगों, स्थानीय मीडिया, डॉक्टरों और नागरिक, समाज के सदस्यों से बात करने का मौका मिलेगा। कश्मीर और दुनिया के बीच के लोहे के पर्दे को उठाने की जरूरत है।”
धारा 370 हटाने के बाद से ही कश्मीर के बाद से ही कश्मीर में सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने इंटरनेट सुविधा बंद कर दी थी, टेलीफोन सेवा बंद थी। हाल ही के दिनों में फोन की सुविधा तो चालू कर दी गई पर इंटरनेट अभी भी बंद पड़ा है।
फ्रांस की कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी की यूरोपीय सांसद थिएरी मैरियानी ने एएफपी को बताया “हम कश्मीर में स्थिति को देखने जा रहे हैं, कम से कम वे हमें दिखाना चाहते हैं”।