2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी केवल एक व्यक्तित्व नहीं है।वो एक सोच हैं जो तब तक जिंदा रहेगी जब तक भारतवर्ष रहेगा, इसलिए तो कहते है कि भारत के राष्ट्रपिता और बापू की उपाधि उन्हें यूं ही नहीं मिली।
बता दूं कि, भारत के इतिहास को जब भी खंगाला जाएगा तो उनका नाम इतिहास के पन्नो पर ज़रूर पाया जाएगा। अहिंसा और स्वावलंबी बनने पर उन्होंने हमेशा ज़ोर दिया। यही नहीं सामाजिक बुराइयों से दूर रहना और जाति धर्म से ऊपर उठकर समाज के लिए सोचना उनके सिद्धांतो में सबसे पहले शामिल था।
उनकी बातों में संजीदगी हुआ करती थी लेकिन स्वभाव एक दम शांत और चंचल, इसलिए सरोजनी नायडू उन्हें “मिक्की माउस” कहा करती थीं। कहते हैं कि उनकी छवि अक्सर एक गंभीर विचारक, आध्यात्मिक पुरुष और एक राजनेता की रही है। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब में लिखा है कि-“जिन्होंने महात्मा की हास्य मुद्रा नहीं देखी, वो बेहद ही कीमती चीज़ देखने से वंचित रह गया।”
गांधी के हसमुख अंदाज़ के बावजूद भी साइलेंट कॉमेडी किंग “चार्ली चैपलिन जब उनसे मिले थे तो काफी नर्वस रहते थे। यहाँ तक की गांधी से कैसे मिलना है, क्या बात कहनी ही इसकी रिहर्सल वो पूरे राते करते गए थे। हालांकि इसके बाद भी गांधी और चैपलिन की मुलाकात सफल रही। इन दोनों की मुलाकात एक किस्सा बहुत मशहूर है, आइए बताते हैं आखिर क्या है वो किस्सा ?
गांधी ने मुलाकात के लिए मना कर दिया था
1931 का समय था और भारत मे गांधी अपने विचारों पर आधारित आज़ादी के लिए अभियान चला रहे थे। उस समय गांधी को देश-विदेश में खासी लोकप्रियता भी मिल रही थी। ये बात और है कि उन्हें पसंद और नापसन्द करनेवालों का आंकड़ा एक समान था। अपने आंदोलनों में व्यस्त गांधी ने पहले तो चार्ली चैप्लिन से मुलाकात करने के लिए मना कर दिया था।
लेकिन 22 सितंबर 1931 को लंदन में उनकी मुलाकात चार्ली चैंपलिन से हुई। गांधी लंदन एक सम्मेलन के लिए पहुंचे थे और लंदन के ईस्ट एंड के फ्लैट में ठहरे हुए थे। उन समय चार्ली गांधी से मिलने उसी फ्लैट पहुंचे थे। दोनों की मुलाकात के बीच वहाँ अच्छी खासी भीड़ भी जमा थी।
गांधी से मिलते समय चार्ली चैप्लिन नर्वस थे
चार्ली गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे और उनके तेजस्वी व्यक्तित्व को और भी करीब से जानना चाहते थे। जिसके लिए वो ईस्ट एंड फ्लैट पर गांधी से उस समय मिलने पहुंचे जब गांधी गोल मेज सम्मेलन के लिए लंदन आए हुए थे। जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, चार्ली गांधी से मुलाकात के दौरान काफी नर्वस थे, वहीं वो बार बार गांधी से की जाने वाली बातों की रिहर्सल कर रहे थे। गांधी से मुलाकात के बाद इसका खुलासा चार्ली ने खुद किया था।
मुलाकत के बाद “गांधी वादी” हो गए थे चार्ली
दैनिक जागरण के हवाले से, चार्ली ने गांधी से मुलाकात के दौरान पूछा था कि वो मशीनों का इतना विरोध क्यों करते हैं? जिसके जवाब में गांधी ने कहा कि मशीनों का विरोधी नहीं हूं, लेकिन इसकी वजह से किसी का रोजगार छीन जाना मुझसे बर्दास्त नहीं होता। यही बात गांधी ने अपनी किताब “हिन्द स्वराज” में भी कही है।
चार्ली यूं तो पहले से ही गांधी के विचारों से प्रभवित थे लेकिन मुलाकात के बाद ये गांधी का रंग उनपर चढ़ गया था। ये गांधी के गांधीवादी विचारों का ही प्रभाव था, की अपनी फिल्म “मॉर्डन टाइम्स” में चार्ली ने अंधाधुंध हो रहे औद्योगिकीकरण के नुकसान बताए थे।