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कुछ इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने निपटाया "कावेरी जल विवाद"

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कावेरी नदी के जल के बंटवारे को ले कर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि, “नदी पर किसी एक राज्य का अधिकार नहीं है”.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाली पानी की मात्रा को कम करते हुए, कर्नाटक को अतिरिक्‍त 14.75 टीमसी पानी देने के आदेश दिए हैं.
कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया कि वह बिलिगुंडलू डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 थाउजेंड मिलियन क्यूबिक फीट पानी छोड़ेगें. इस फैसले से तमिलनाडु को पहले से 5% कम मिलेगा. तो वहीं, कर्नाटक के कोटे में 14.75 टीएमसी का इजाफा किया है, जिससे उसे अब पहले से 5% ज्यादा पानी मिलेगा.
कावेरी विवाद में कर्नाटक को ज्यादा पानी दिए जाने के कोर्ट के फैसले की खुशी कर्नाटक विधानसभा में भी देखने को मिली.

सुप्रीम कोर्ट के  फैसले की मुख्य बाते 

  1. सुप्रीम कोर्ट ने उच्चतम आदेश दिया कि कर्नाटक अपने अंतरराज्यीय बिलीगुंडलु बांध से कावेरी नदी का 25 टीएमसीएफटी जल तमिलनाडु के लिए छोड़े.
  2. कर्नाटक को 75 टीएमसीएफटी जल अधिक मिलेगा जो न्यायाधिकरण द्वारा वर्ष 2007 में निर्धारित 270 टीएमसीएफटी कावेरी जल से अधिक होगा.
  3. न्यायालय ने कहा कि वर्ष 2007 में न्यायाधिकरण द्वारा केरल को दिए गए 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी को दिए गए सात टीएमसीएफटी जल में कोई बदलाव नहीं होगा.n
  4. तमिलनाडु को न्यायाधिकरण द्वारा आवंटित 419 टीएमसीएफटी की बजाए अब कावेरी नदी का 404.25 टीएमसीएफटी जल मिलेगा.
  5. न्यायालय ने तमिलनाडु को कावेरी बेसिन के नीचे कुल 20 टीएमसीएफटी जल में से अतिरिक्त 10 टीएमसीएफटी भूजल निकालने की अनुमति दी.
  6. न्यायालय ने कहा कि बेंगलुरु के निवासियों की पेयजल एवं भूजल आवश्यकताओं के आधार पर कर्नाटक के लिए कावेरी जल का आवंटन बढ़ाया गया.
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