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भाजपा के लिए मुश्किल होता राजस्थान

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राजस्थान की अलवर, अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में हार ने राज्य की मौजूदा सरकार को खतरे के संकेत दे दिए हैं. इन चुनावों को विधानसभा के सेमीफ़ाइनल की तरह देखा जा रहा था. जिस तरह इस उपचुनाव में खुद के कब्जे वाले 15 विधानसभा क्षेत्रों में हार हुई है, उसके बाद 180 प्लस का सपना देख रही बीजेपी को कम से कम 125 विधायकों के टिकट काटने होंगे. बीजेपी पहले यह फार्मूला दिल्ली एमसीडी और गुजरात चुनाव में अजमा चुकी है.
क्यों काटने होंगे टिकट? 
राजस्थान पत्रिका के अनुसार राजस्थान के अलग सा ट्रेंड है, यहाँ पर हर 5 साल में सत्ता पलटती है.  सियासी ट्रेंड भी संकेत देता है. पहला, सत्तारूढ़ दल की वापसी नहीं होती. दूसरा, चुनाव मैदान में उतरने वाले सत्तापक्ष के मौजूदा विधायकों में से महज 17 फीसदी तक ही वापस जीतते हैं. सत्ता वापसी की बात तो दूर, इस ट्रेंड के हिसाब से मुकाबले में आने के लिए ही बीजेपी के पास नए चेहरे उतारना ही एक विकल्प बचता है। सियासी जानकारों का भी यही कहना है. सत्ता पक्ष के विधायकों की एंटीइनकमबेंसी का सबसे बड़ा उदाहरण अलवर लोकसभा सीट रही.
ये 3 सीटें क्यों हैं अहम?
यहां हुए उपचुनाव में मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री जसवंत यादव बतौर प्रत्याशी इस लोकसभा सीट पर तो हारे ही, अपनी विधानसभा सीट बहरोड़ पर भी बढ़त कायम नहीं रख पाए. वैसे तो सिर्फ ये तीन सीटें ही  हैं लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि ये सीटें आसपास के सात जिलों को सियासी तौर पर प्रभावित करती हैं. ये सात जिले प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों का एक चौथाई हिस्सा कवर करते हैं.
पिछले चुनावों का ट्रेंड 
एंटीइनकमबेंसी बनती है रुकावट, इसलिए दोबारा चुनकर नहीं आते विधायक.
11वीं विधानसभा (1998 से 2003) :कांग्रेस की सरकार 
इससे पहले के चुनाव में बीजेपी के 124 विधायकों के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन 1998 में उसके 33 विधायक ही जीते। इनमें से भी 19 विधायक ही दोबारा जीतकर आए। यानी 124 विधायकों का 15.88%
12वीं विधानसभा (2003 से 2008): बीजेपी की सरकार 
इससे पहले के चुनाव में कांग्रेस 152 विधायकों के साथ सत्ता में आई थी। 2003 के चुनाव में उसके सिर्फ 56 विधायक ही चुनाव जीत पाए। इनमें दोबारा चुने गए 26 विधायक 152 के 17% यानी 26 रहे.
13वीं विधानसभा (2008 से 2013): कांग्रेस की वापसी 
इससे पहले के चुनाव में बीजेपी 120 विधायकों के साथ सरकार में आई थी. 2008 में चुनाव हुए तो 78 विधायक ही चुनकर आए. इनमें दोबारा चुने गए विधायकों की संख्या 14.5% यानी 17 थी.
14वीं विधानसभा (2013 से अब तक ): बीजेपी की सरकार 
इससे पहले कांग्रेस 102 विधायकों के साथ सत्ता में आई. इनमें 6 विधायक उसे सपोर्ट करने वाली बीएसपी के थे. 2013 के चुनाव में कांग्रेस के कुल 21 विधायक चुनकर आए जिनमें दोबारा चुनकर आने वालों की संख्या 7 रही.