सुनकर कितना अजीब लगता है न कि एक व्यक्ति जो दंगाईयों को रोकने की कोशिश करता है। वो अभद्र टिप्पणी करने वालों के विरुद्ध पुलिस में केस दर्ज करवाता है। वो लोगों से सभ्य भाषा का उपयोग करने की अपील करता है। इसी बीच कुछ नफ़रत के वाहक एक फोटो को एडिट करते हैं और उल्टा उसी व्यक्ति को निशाना बना दिया जाता है। फिर जो होता है, वो और भी शर्मनाक है। यूपी पुलिस के कुछ लोग आधी रात को उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेते हैं।
मामला उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद ( प्रयागराज ) का है। जहां पर मशहूर पत्रकार मोहम्मद अनस को 20 अक्टूबर की रात को गिरफ़्तार किया गया। एक फर्जी और एडिट की हुई तस्वीर के आधार पर उनपे इलज़ाम लगाया गया, कि उन्होंने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। फिर यूपी पुलिस अपनी कार्यवाहियों के लिए वैसे ही बदनाम है। यहाँ भी वही हुआ, मोहम्मद अनस की फ़ेसबुक वाल को चैक किए बिना ही इलाहाबाद की झूँसी स्थित उनके घर से कुछ लोग उन्हे गिरफ्तार करके ले गए।
ज्ञात होकि मोहम्मद अनस दो दिन से सोशल मीडिया में नफ़रत फैलाने वाले लोगों के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए थे। वहीं फ़ेसबुक से लेकर ट्वीटर तक में इस्लामोफोबिक कमेंट्स की बाढ़ आई हुई थी, जिसमें पैगंबर मुहम्मद साहब पर अमर्यादित भाषा और शब्दों का उपयोग किया जा रहा था। जिसको लेकर मोहम्मद अनस ने लोगों से अपील की थी, कि वो यूपी पुलिस का साथ दें किसी भी तरह का गलत क़दम न उठायें। मोहम्मद अनस को गिरफ्तार करने से पहले यदि मोहम्मद अनस की वाल को ही चैक कर लिया जाता, तो शायद यूपी पुलिस उन्हे गिरफ्तार नहीं करती।
देखें पत्रकार मोहम्मद अनस की अन्य पोस्ट्स
फेसबुक एवं ट्विटर के माध्यम से जो भी लोग एक दूसरे के धार्मिक प्रतिकों, सम्मानित महापुरूषों अथवा धर्म को लेकर गाली-गलौच या भावनाओं को आहत करने वाली पोस्ट लिख रहे हैं, उनके विरूद्ध उत्तर प्रदेश पुलिस कड़ी कार्यवाई कर रही है।
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी पत्र के माध्यम से बताया गया कि आज पूरे प्रदेश भर में 14 मुकदमें दर्ज किए गए हैं। इन पर रासुका के तहत भी कार्यवाई की जा सकती है। इलाहाबाद में आज दो लोगों के विरूद्ध केस दर्ज किया गया है। प्रतापगढ़ में एक।
समझदार और ज़िम्मेदार नागरिक का फर्ज़ निभाए। ऐसे असामाजिक तत्वों के विरूद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवाएं जिन्होंने फेसबुक या ट्विटर पर किसी भी धर्म विशेष के विरूद्ध गलत बातें लिखी हैं।
मोहम्मद अनस की इन सभी पोस्ट्स को पढ़ने के बाद इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है, कि पत्रकार मोहम्मद अनस न सिर्फ़ अमन व शांति को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे थे। बल्कि उत्तरप्रदेश पुलिस और प्रशासन का सहयोग कर रहे थे। साथ मोहम्मद अनस यूपी पुलिस द्वारा जनता से की गई अपील को भी लोगों तक पहुँचा रहे थे। ऐसे सोशलमीडिया में उनके ही विरुद्ध सोशल मीडिया में अशान्ति फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया जाना और फिर उन्हे यूपी पुलिस द्वारा अनस के सोशलमीडिया अकाउंट्स को बिना देखे ही उनके घर से उठाना यूपी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाता है।