14 मार्च – विश्व वक्र दिवस ( world kidney day ), जानिये कैसे करें किडनी की देखभाल

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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।

अथर्ववेद में उल्लिखित उपर्युक्त  पाठ का हिंदी पद्यानुवाद:- “सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।”
विश्व वृक्क दिवस के चौदहवीं वर्षगांठ  का आयोजन होने जा रहा है। विश्व वृक्क दिवस विश्व भर में प्रतिवर्ष मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है । इसमें वृक्क के महत्व और वृक्क की बीमारी तथा उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव और बचाव के बारे में मुख्य रूप से जागरूकता अभियान के ज़रिए लोगो तक पहुंचाया जाता है। यह संयुक्त रूप से इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ नेफ्रोलॉजी (ISN) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ किडनी फाउंडेशन (IFKF) के तत्वधान से समूचे विश्व भर में मनाया जाता है।
इसे हर वर्ष 14 मार्च  गुरुवार को पुरे विश्व में गुर्दा दिवस मनाया जा रहा है। गुर्दे के महत्व और गुर्दे की बीमारी तथा उस से जुड़ी अन्य बिमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए सन 2006 से प्रति वर्ष  विश्व गुर्दा दिवस मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष गुर्दा दिवस के लिए एक नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा “गुर्दे का स्वास्थ्य सबके लिए सब जगह”

क्रोनिक किडनी रोग (CKD)  एक विश्ववयापी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। संसार मे हर 10 में से एक व्यक्ति गुर्दा रोग से ग्रसित है। एक सर्वे के आंकलन द्वारा प्रमाणित किया गया के समूचे विश्व मे आज लगभग 85 करोड़ लोग विभिन्न गुर्दा रोग से ग्रसित हैं।  हर साल लगभग 24 लाख लोगों की मृत्यु गुर्दा रोग के कारण हो जाती है। मौत के कारणों में गुर्दे की बीमारी का छठा स्थान आता है। एक सर्वे के अनुसार लगभग 30 लाख गुर्दा रोगी ऐसे हैं जो डायलाइसिस अथवा गुर्दा प्रत्यारोपण के द्वारा अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार ये संख्या 2030 में बढ़कर 60 लाख के आंकड़ों को पार कर जाएगी।
गुर्दे की बीमारी का इलाज बहुत अधिक महँगा है। एक गुर्दे रोगी के समुचित उपचार के लिए कम से कम 30-35 हज़ार रूपयों की आवश्यकता पड़ती है जो एक साधारण व्यक्ति के पहुंच से कहीं बाहर है। इस वर्ष  समेत अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं विशेष कर संयुक राष्ट्र संघ (United Nations ) एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World health organisations ) ने सभी राष्ट्रों से अपील की है के वो अपने राज्यों की गुर्दा स्वास्थ्य एवं उसके उपचार संबंधित विशेष प्रावधान करे। जिस से गुर्दा के रोगियों को राहत पहुंचाई जा सके और उनके उचित जीवन यापन के लिए सम्मानजनक व्यवस्था की जा सके।
इसके लिए भारत सरकार ने विशेष व्यवस्था कर रखी है। जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री राहत कोष, केंद्रीय एवं प्रदेश का स्वस्थ मंत्रालय, बी पी एल कार्ड धारक, मुख्यमंत्री राहत कोष , असाध्य रोग निवारण सहायता, एवं आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोगय योजना तथा विभिन्न अन्य योजनाओं के अंतर्गत गुर्दा रोगियों को वित्तीय एवं चिकित्सकीय लाभ पहुंचाया जा रहा है।

इस वर्ष विश्व वृक्क दिवस का प्रण है के सब जगह सबके लिए स्वस्थ्य गुर्दे की देखभाल की समुचित सुविधा उपलब्ध हो।

किडनी  मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारे शरीर में दो गुर्दे होते हैं , एक गुर्दे का वज़न औसतन महिलाओं में १३५ ग्राम और पुरुषों में १५०ग्राम के करीब होता है। वृक्क की संरचना अद्भुत एवं जटिल होती है जो हमें स्वस्थ रखने के लिए शरीर में विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों का निष्पादन करती है।
मुख्य रूप से वृक्क का कार्य रक्त का शुद्धिकरण है जिसमे वृक्क् अनावश्यक विषाक्त पदार्थों तथा अपशिष्ट उत्पादों जैसे यूरिया क्रिएटिनिन को पेशाब के माध्यम से शरीर से बहार निकाल देता है। इसके अतिरिक्त आवश्यकता से अधिक पानी तथा अन्य लवण को शरीर से बाहर निकालना। रक्त के दबाव अर्थात ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना। रक्तकणों के उत्पादन में सहायता करना। एवं हड्डी को मज़बूती प्रदान करना भी वृक्क के कार्य हैं.

गुर्दा के रोगों का कारण:

गुर्दा खराब होने के शुरुआती चरण में कोई भी लक्षण सामने नहीं आता है। किडनी या गुर्दे की बीमारी को ‘साइलेन्ट किलर’ भी कहा जाता है। क्योंकि प्रथम अवस्था में कभी भी इसका पता नहीं चलता है। वृक्क् की बीमारी का मुख्य कारण डायबिटीज़ तथा उच्च रक्तचाप है। इसके अतिरिक्त गुर्दों के पैदाइशी या अनुवांशिक रोग , तथा कुछ दर्द निवारक दवाएं भी किडनी फेल होने का कारण बन सकती हैं। गुर्दे में सूजन और पथरी होना भी एक कारण हो सकता है।

ज़्यादा जोखिम वाले लोग:-

  • मधुमेह रोगी( डायबिटीज)
  • उच्च रक्तचाप रोगी(हाईपरटेंशन)
  • अनुवांशिक मधुमेह एवं रक्तचाप संबंधी बीमारी
  • मोटापा रोगी
  • गुर्दे पथरी रोगी
  • 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति

गुर्दा ख़राब होने के लक्षण :

  • पैरों और मूंह पर सूजन
  • पेशाब की मात्रा में कमी
  • उलटी, सर दर्द, भूख गायब
  • खून की कमी
  • हड्डियाँ कमज़ोर
  • शरीर में खुजली
  • कमजोरी और थकान होना

गुर्दा के रोगों का उपचार:

शुरुआती दौर में जांच और प्रबंधन से बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है और ऐसे में इलाज के परिणाम भी अच्छे आते हैं।बीमारी के आम लक्षण हैं जिसका थोड़ा भी एहसास होने पर तुरन्त इसकी जाँच करवायें। और चिकित्सक के सलाह के अनुसार इलाज शुरू करें नहीं तो समय के साथ स्थिति खराब होती जाती है। आरंभिक स्थिति में दवाइयों और परहेज़ के द्वारा रोग का उपचार किया जा सकता है अथवा रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। पूर्णरूप से किडनी फेलियर की स्थिति में मुख्यरूप से दो ही उपचार संभव है।
डायलिसिस: डायलिसिस दो प्रकार से किया जाता है हीमोडायलिसिस मशीन द्वारा खून की सफाई की जाती है, जो सप्ताह में २-३ बार किया जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस : इसे रोगी घर में ही स्वयं कर सकता है । लेकिन दिन में ३-४ बार करना पड़ता है।
किडनी ट्रांसप्लांट : सबसे बढ़िया उपचार है जिसमे गुर्दा का प्रत्यारोपण किया जाता है। लेकिन दवाइयाँ जीवन भी खानी परती हैं।

वृक्क् रोग से बचाव का उपाय:

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
  • मूत्र को ज़्यादा देर तक दबाकर न रखना
  • नियमित रूप से व्यायाम
  • बिना डॉक्टर के सलाह के दवाई न खायें
  • जंक फूड खाने से बचें आदि
  • स्वस्थ आहार लें
  • शरीर का वजन स्वस्थ सीमा में रखें
  • नमक का इस्तेमाल कम करें
  • अगर आपको डायरिया, उल्टी, बुखार आदि है तो डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए खूब सारा तरल पदार्थ लें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • धूम्रपान या अन्य तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल न करें।
  • दर्द निवारक जैसी ‘ओवर द काउंटर’ दवाओं का इस्तेमाल कम करें, क्योंकि ये आपकी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • अगर आप हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं  और उच्च रक्तचाप एवं डायबिटीज़ से ग्रसित हैं  तो किडनी फंक्शन की जांच नियमित रूप से कराएं।
  • अगर आपको डायबीटीज है तो अपना ब्लड शुगर लेवर नियंत्रण में रखें।
  • अगर ब्लड प्रेशर है तो दवाओं के ज़रिये उसको नियंत्रण में रखें।

पिछले कुछ वर्षो में भारत में क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी गुर्दे खराब होने की समस्या तेजी से बढ़ी है। भारत में प्रत्येक 10 व्यक्ति में एक व्यक्ति गुर्दे की बीमारी से ग्रसित है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान द्वारा किए गए एक अध्ययन द्वारा  ये ज्ञात हुआ है के भारत में प्रति वर्ष 1.5 लाख गुर्दे के नए मरीज़ बढ़ जाते हैं। जिनमे से बहुत थोरे लोगों को ही किसी प्रकार का इलाज उपलब्ध हो पाता है। भारत में प्रति वर्ष 5 लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता है किन्तु कुछ हज़ार मरीजों को ही ये सुविधा उपलब्ध हो पाती है।
दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह के गुर्दा रोग से ग्रसित है।आज के आधुनिक युग की जीवनशैली के कारण किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ गया है।आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।

गुर्दे के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए क्या करें:-

  • गुर्दा रोग विशेषज्ञ से संपर्क में रहें
  • अपने रक्तचाप को नियंत्रित रखें
  • मधुमेह रोगी ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें
  • अनावश्यक दर्द निवारक गोलियों के सेवन से बचें
  • बिना विशेषज्ञ की सलाह के एंटीबायोटिक न लें।
  • साफ पानी पीने की व्यवस्था रखें
  • नियमित व्ययाम करें
  • पौष्टिक आहार लें
  • तम्बाकू , मदिरा का सेवन पूर्णरूप से बंद करें
  • धूम्रपान ना करें।

अपने देश मे गुर्दे की आदर्श स्वस्थ व्यवस्था के लिए संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ द्वारा कुछ सुझाव भी प्रस्तुत किये गए हैं। हम अपने राष्ट्र एवं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री का ध्यान इन बिंदुओं पे आकर्षित करना चाहेंगे ताकि हम अपने देश एवं प्रदेश में गुर्दा रोगियों के इलाज की समुचित व्यवस्था का प्रबंध कर सकें।

  • गुर्दे सम्बंधी यूरिन एवं रक्त जांच की सुविधा प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध हो।
  • हर गुर्दा रोगी के लिए दवाएं, खासकर ब्लड प्रेशर, शुगर, एवं कोलेस्ट्रॉल की दवाइयां स्वस्थ केन्द्रों पर मुफ्त उपलब्ध हों।
  • सरकार सबके लिए समान, सामर्थ्यपूर्ण एवं स्थायी इलाज की व्यवस्था कर।
  • डायलाइसिस एवं गुर्दा प्रत्यारोपण जैसे जटिल इलाज के लिए स्थायी सरकारी मदद की व्यवस्था की जाए।
  • ब्रेन डेड लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करें और उसके लिए सही नियम बनाये।
मोशीर आलम
नेफ्रोलॉजी सोशल वर्कर
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