उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक सनसनी खेज मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. जहाँ एक तरफ सरकारे बड़े बड़े दांवो के साथ विकास का दम्भ भर रही हैं तो दूसरी तरफ लोग गरीबी में ईलाज के लिए अपने कलेजे के टुकटे को बेचने पर मजबूर हैं.
जहां एक महिला ने अपने 15 दिन के बेटे को 45 हजार रुपए में बेच दिया. वहीं जब पड़ोसियों को बच्चा काफी दिनों तक नहीं दिखा को उन्होंने महिला ने इस बारे में पूछा, तब इस बात की सच्चाई सामने आई.
लेकिन सवाल इस बात का जहां स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर अरबों रुपये योजनाओं में खर्च किए जा रहे हैं तो आखिर गरीब परिवारों को फ्री में इलाज की सहूलियत क्यों नहीं दी जा सकती है.
ये बात भी सही है कि देश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत है. इसमें भी भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ है और जरूरतमंदों तक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं.
क्या है मामला
मिडिया रिपोर्टो के अनुसार, 9 अक्टूबर को काम करते समय खटीमा में निर्माणाधीन मकान की दीवार का एक हिस्सा हरस्वरूप मौर्य के ऊपर गिर गया, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गया था
इस घटना के बाद से कमर के नीचे का हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और पैसों की कमी की वजह से इलाज ठीक से नहीं हो सका. घर में अकेले कमाने वाले हरस्वरूप के बीमार होने से घरवालों के सामने पैसे की परेशानी आने लगी.
इसी दौरान 14 दिसम्बर को मौर्य की पत्नी संजू ने तीसरे बेटे को जन्म दिया.
महिला को ना तो किसी मदद की उम्मीद थी और ना ही पति के हालात सुधरने की आस थी. इसी के चलते महिला ने अपने कलेजे के टुकड़े को 42 हजार रुपए में बेच दिया ताकि वह अपने बीमार पति का इलाज करा सके.