जियोपोलिटिक्स में सबसे बड़ी खबर में अफगानिस्तान और तालिबान के बीच पिछले 3 महीने से कोल्ड वार जैसी स्थिति में जीत तालिबानियों की हुई है। उन्होंने अफगानिस्तान में अपनी हुकूमत काबिज़ कर दी है।
इन दोनों देशों के आपसी लड़ाई – झगड़े से विश्व के कई बड़े superpowers भी परेशान हो गए हैं। तालिबान के हमलों के कारण कई बेकसूर लोग मारे गए हैं, जिनमें कई सारे अलग-अलग देशों के लोग शामिल हैं।
कमजोर पड़ती अफगानी सेना का फायदा उठाते हुए तालिबान ने 15 अगस्त को यहां की राजधानी काबुल पर भी अपना हक जमा लिया। पिछले 10 दिनों में ही तालिबान की रफ्तार अचानक तेज हुई और उसने अफगानिस्तान को पस्त कर दिया।
इसके बाद अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। तो अब सवाल यह उठता है कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा? कौन संभालेगा अफगानिस्तान की गद्दी?
अशरफ गनी देश छोड़ गए हैं
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी 15 अगस्त को देश छोड़कर भाग गए है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए काबुल के राष्ट्रपति कार्यालय से helicopter के माध्यम से देश छोड़कर हवा हो गए। 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद ही उन्होंने पलायन करने का फैसला लिया।
बता दें कि तालिबान ने काबुल के हवाई अड्डे से किसी भी तरह की कमर्शियल उड़ान भरने पर पूरी तरह से रोक लगाई थी।वह लोगों को देश छोड़कर जाने से रोक लगाई है।
गनी का अफगानिस्तान वासियों के नाम पत्र
अशरफ गनी ने काबुल से भागने के बाद अपने देशवासियों के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपने पलायन का कारण बताया है। उन्होंने पत्र में लिखा, “मेरे सामने दो रास्ते थे। पहला, या तो मैं तालिबानी आतंकवादियों का सामना करूं, जो हथियारों से लैस है। दूसरा, या तो मैं उस देश को छोड़ दूं जिसकी मैंने 20 साल तक रक्षा की है।”
आगे वह लिखते है, “अगर मैं उनका सामना करता तो काबुल में मानवीय त्रासदी देखने को मिलती। कई बेकसूर मारे जाते। इसलिए मैंने देश छोड़कर जाना ही उचित समझा।”
क्या बरादर होंगे अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति?
समाचार एजेंसी CNN से बात करते हुए तालिबान के कुछ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति चुने जा सकते है। बरादर तालिबान के सह संस्थापकों में से एक है। मौजूदा वक्त में वह विद्रोही समूह के Political Head है।
उन्हें पाकिस्तान के कराची से 2010 में पकड़ लिया गया था। जिसके बाद उन्हें 2018 में अमेरिका के दबाव बनाने के बाद रिहा किया गया। इसके बाद बरादर को कतर लाया गया, जहां उन्हें तालिबान का Political Head चुना गया।
हिब्तुल्लाह भी बन सकते हैं अगले राष्ट्रपति
हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा तालिबान के महत्वपूर्ण नेता है। यह इस्लाम धर्म के विद्वान है। BBC के मुताबिक इन्होंने ही तालिबान की दशा – दिशा बदली है और देश को इस अवस्था में लाकर खड़ा किया है।
अख़ुंदज़ादा ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगानिस्तान के विद्रोह में कमांडर की भूमिका निभाई थी। उनकी मुख्य पहचान एक धार्मिक विद्वान के रूप में है। पिछले 8 सालों से वह अफगानिस्तान में ही अपनी जिंदगी गुजार रहे है।
सिर्फ 3 मेन स्टेप्स में तालिबान ने स्थापित की अपनी हुकूमत
तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपनी हुकूमत महज 3 मेन स्टेप्स में हासिल की है। सबसे पहले पाकिस्तान की सीमा से सटे स्पीन बोल्डक शहर पर तालिबान ने हमला किया।
इस हमले में काफी लोगों की जान गई थी। इसके बाद तालिबान ने 6 अगस्त को ईरान सीमा के पास अफगानिस्तान के जरांज शहर पर कब्जा किया।
तीसरे स्टेप में तालिबान ने सीधा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना कब्जा जमाया। इन सब में अफगानिस्तान की सेना की कमजोरी ही एक कारण है। यहां की सेना यहां के लोगों का दिल जीतने में कामयाब नहीं हो पाई हैं।
अमेरिका ने लिया एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में
काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना ने फायरिंग करके उसे अपने कंट्रोल में ले लिया हैं। इस फायरिंग में लगभग 5 लोग मारे गए हैं। भारत ने इसके कारण काबुल के लिए सभी उड़ाने बंद कर दी है, जिसके बाद भारत के लोग वहां असहाय हो गए हैं।
काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने सभी कमर्शियल उड़ानों को रोक दिया था। लेकिन अमेरिकी देशों के लोगों के वहां फस जाने के कारण अमेरिका ने 16 अगस्त को एयरपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया है। अमेरिका अपने लोगों को मिलिट्री प्लेंस की मदद से अफगानिस्तान से निकालने की तैयारी कर रहा है।