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एक आतंकी हत्यारे के पक्ष में सरकार नर्म क्यों है ?

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बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना को आज रिहा किया जा रहा है। इस आतंकी को आज से बारह साल पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई गयी थी। बेअंत सिंह और केपीएस गिल के सख्त प्रयासों से पंजाब में आतंकवाद पर काबू पाया गया था।
बलवंत सिंह को फांसी की सज़ा 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई थी। वह 22 साल से पटियाला जेल में है। चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त, 1995 को मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में 16 अन्य लोगों की भी जान गई थी।
पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने आत्मघाती हमलावर की भूमिका निभाई थी। राजोआना ने हत्याकांड की साजिश रची थी। बलवंत सिंह राजोआना की सजा माफ करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लगाई थी जिसे स्वीकार कर लिया गया।
यह उस सरकार का निर्णय है कि, जो आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की बात करती है और खुद को आतंकवाद का शत्रु घोषित करती है। पर निकटता अलगाववादी संघटनो से रखती है। देश की हर वह पार्टी जिसके एजेंडे में कभी न कभी संविधान के प्रति अवमानना, देश के अखंडता के प्रति बैर और देश की एकता के प्रति विरोध का एजेंडा रहा है वह भाजपा के साथ रही है या है। चाहे अकाली दल हो, या पीडीपी या नार्थ ईस्ट के छोटे मोटे अलगाववादी संगठन।

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