केजरीवाल “हिंदुओं की राजधानी” कहां बना रहे हैं?

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Asad Shaikh

2022 में देश के 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और ये पांचों राज्य ही महत्वपूर्ण राज्य हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,मणिपुर ,पंजाब और गोवा ये पांच राज्य ऐसे हैं जो 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करेंगें। भाजपा से लेकर कांग्रेस और सपा और बसपा तक सभी दल अपना पूरा जोर लगा रहे हैं।

इन सभी दलों में एक दल और है जो दिल्ली के रास्ते पंजाब और उत्तराखंड में एंट्री लेने की कोशिशों में हैं। मैं यहां बात कर रहा हूँ आम आदमी पार्टी की,जो लगातार दिल्ली में दो बार जीत कर सरकार बना चुकी है और अब वो उत्तराखंड को “हिंदुओं की राजधानी” बनाने की तैयारियां कर रही है। वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? इस पर गौर करते हैं।

केजरीवाल ब्रांडिंग के लिये माहिर हैं।

अरविंद केजरीवाल ने 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वो हार गए थे तब से लेकर आज तक केजरीवाल एक बात समझ गए हैं और वो ये है कि उन्हें राजनीति में कहाँ और कितना काम करना है। इसलिए 2015 में “5 साल केजरीवाल” और 2020 में “लगे रहो केजरीवाल” के नारे के साथ जनता के दिल पर राज किया और सत्ता में आये।

अब अरविंद केजरीवाल की नज़र उतराखण्ड पर है। यहां वो बहुत पहले से कोशिश कर रहे थे लेकिन अब जड़ से केजरीवाल और उनकी टीम अपने काम मे लग गयी है। इसी “नीति” को ध्यान में रखते हुए ही आम आदमी पार्टी ने पूर्व फौज कर्नल कोठियाल को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया है। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य को “हिंदुओं की आध्यात्मिक राजधानी” बनाये जाने का वादा भी किया गया है।

केजरीवाल की देश भर में छवि काम वाली है फिर भी वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या वजह है कि पहले वो नेशनल टीवी पर “हनुमान चालीसा” पढ़ते हुए नज़र आये थे और हाल ही में उन्होंने दिल्ली में भव्य गणेश चतुर्थी का आयोजन भी किया था।

इस पूरे बदलाव को समझने के लिये हमें राजनीतिक विश्लेषक स्वाति परिहार की बात को समझना चाहिए वो कहती हैं कि “आम आदमी पार्टी ने बहुत हद तक खुद की छवि काम की राजनीति वाली बना ली है, पार्टी ने दूसरी बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुमत से सरकार बनाकर खुद को स्थापित किया है, फिर क्या वजह है कि ‘आप’ को भी हिंदुत्व की राह पकड़नी पड़ रही है।

चुनावों के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ हो या सामूहिक दिवाली पूजा या फिर हाल ही में उत्तराखंड को आध्यात्मिक राजधानी बनाने की मांग, केजरीवाल की सॉफ्ट हिंदुत्व छवि साफ देखी जा सकती है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति बदलने का दावा करने पार्टी के इस रूप को जनता कितना स्वीकारती है या नकारती है।

कितना फायदा हो सकता है?

इसमें कोई शक़ की बात नही है कि आध्यात्मिक राजधानी का नाम जोड़ा जाना बहुत बड़ी राजनीति का हिस्सा है जिसमें अरविंद केजरीवाल बहुत आसानी से सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति में अपनी एंट्री कर रहे हैं। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि केजरीवाल इस बात को फायदा पूरी तरह अगर ले भी लें तो कोई बहुत बड़ी हैरानी वाली बात नहीं होंगी।

इस विषय पर दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा की सीट से विधायक हाजी यूनुस कहते हैं कि “देखिये उत्तराखंड पवित्र भूमि है,यहां चारों धाम हैं। हज़ारों लाखों श्रद्धालुओं का ये धार्मिक स्थल है । आम आदमी पार्टी का सवाल वहां की भाजपा सरकार से ये है कि वहां पर इतनी असुविधाएं क्यों हैं? विकास के नाम पर अब तक क्यों उतराखण्ड पीछे है? इसलिए ही आम आदमी पार्टी यहां जनता के सामने अपने मुद्दे रखेगी और 2022 में सरकार भी बनाने वाली है”

अरविंद केजरीवाल के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो क्या सोचते हैं कभी भी बहुत ज़्यादा लोगों को पता नहीं होता है इसलिए ही उनके फैसलों से अक्सर तमाम लोग हैरान हो जाते हैं। लेकिन सी वोटर के सर्वे में पंजाब में सत्ता हासिल करने की खबर के बाद से आम आदमी पार्टी का मनोबल बहुत बढ़ गया है और वो आत्मविश्वास के साथ उत्तराखंड में भी चुनावों की तैयारियों में हैं।

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