क्या आप सोच सकते हैं, कि किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि का नाम वोटरलिस्ट से गायब हो जाए. जबकि उक्त जनप्रतिनिधि ने पूर्व में 7 माह पूर्व अपने मताधिकार का उपयोग किया हो, और उसी चुनाव में वे जनता के जनप्रतिनिधि चुनकर आये हों. मामला उत्तरप्रदेश के श्रावस्ती ज़िले का है, जहाँ की भिनगा विधानसभा क्षेत्र से विधायक मोहम्मद असलम राईनी व उनके पुत्र आतिफ़ असलम राईनी जब नगरीय निकाय चुनाव के लिए अपने मत का उपयोग करने के लिए गए, तो वोटर लिस्ट से उनका नाम कटा हुआ था. यह देखकर मौजूद जनसमूह व अन्य लोग हतप्रभ रह गए.
ज़िलाधिकारी ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश
मामले के प्रकाश में आने के बाद श्रावस्ती ज़िला अधिकारी दीपक मीणा ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए तथा कठोर कार्यवाही की बात कही है. जिलाधिकारी दीपक मीणा ने दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही का आश्वासन दिया है.
प्रेस कांफ्रेंस में बात करते हुए विधायक असलम राईनी ने कहा कि –
“सात महीने पहले 11 मार्च को आयोग मुझे MLA का सर्टिफ़िकेट मुझे देती है, और आज जब चुनाव 26 नवंबर को हो रहा है. तो मेरा वोटरलिस्ट में नाम न होना, मतलब मुझे एक बार लगा कि शायद हो सकता है कि ग़लत हो.लेकिन मैंने तीन दिन पहले यहाँ के नायब तहसीलदार और डीम साहब के स्टेनों को बताया था कि,”मेरा नाम नही है”.उसके बाद भी आज जब मैं गया वोट डालने, तो मेरे बच्चों का और मेरा नाम नहीं है. ये तो बहुत बड़ी निग्लिजेंसी है. हमने डीएम साहब के ऊपर छोड़ दिया है, कि आप कौन सी कार्यवाही करेंगे और कौन सी कार्यवाही करेंगे.ये आपके ऊपर है.
विधायक असलम राईनी ने कहा कि मैं सुनता था माईनोरिटी के बहुत से लोगों के नाम कटते हैं. और मैं कार्यवाही करता था. लेकिन आज मैं एक जनप्रतिनिधि हूँ, मुझे बड़ा ओड लगा कि मैं बिना वोट डाले बैरंग लौट आया. इस मामले में अधिकारियों ने भारी लापरवाही की है.
क्या किसी साज़िश के तहत काटे जा रहे हैं नाम ?
विधायक असलम राईनी के अनुसार- मुस्लिम समाज के लोगों के हजारों नाम कटे हैं.हर बूथ पर कटे हैं. मैं इस चीज़ की जानकारी बार –बार देता था. कि लोगों के नाम कटे हैं. पर इसके बाद भी लापरवाही हुई.
सोशलमीडिया में भी कई स्थानों से वोटर्स के नाम वोटरलिस्ट से गायब होने की ख़बरें चलती रहीं, कुछ स्थानों से इसकी पुष्टि भी हो पाई है. जैसे कि एक और बड़े नाम पूर्व सपा सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान में विधायकपारसनाथ यादव और उनके परिवार के लोगों के नाम भी वोटरलिस्ट से कटे पाए गए. इन घटनाओं के सामने आने के बाद इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है, कि क्या किसी साज़िश के तहत ये सारे नाम काटे जा रहे हैं.