नैतिकता का लबादा अधिकतर हम समाज को देखते हुए और उसे दिखाने के लिये भी ओढ़ते हैं। आत्मस्वीकृति और अपराध की स्वीकारोक्ति सभी धर्मों में एक महान कर्म माना गया है पर राजनीति में यह कदम एक रणनीति का रूप ले लेता है। जब एमजे अकबर के खिलाफ पहली आपबीती प्रिया रमानी की मी टू अभियान के अंतर्गत आयी तो सरकार में बैठे किसी की भी नैतिकता नहीं जागी और किसी ने भी इसे गम्भीरता से नहीं लिया। यह सत्ता का अहंकार था। सत्ता का प्रभामण्डल इतनी चुंधियाहत आंखों में भर देता है कि हम कुछ दूर तक कम रोशनी या अंधेरे में पड़ी चीज़े देख ही नहीं पाते। हम अंधकार में पल रहे असंतोष आक्रोश और आलोड़न को न देखते हैं और अगर कुछ गतिहीन दिखता भी है तो उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
प्रिया रमानी के साथ अकबर की केबिन में क्या हुआ था, जब यह बात सार्वजनिक हुयी तो उसकी अलग अलग तरह से प्रतिक्रिया हुआ। फिर तो धीरे धीरे कुछ और महिलाएं सामने आईं और अब तक कुल बीस महिलाएं सामने आकर अपने हैरतअंगेज अनुभव साझा कर चुकी है। जब यह सब रहस्योद्घाटन हो रहा था तब अकबर विदेश यात्रा पर नाइजीरिया थे। सरकार की महिला विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से लेकर भाजपा प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने चुप्पी साध ली। एक केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ज़रूर एक उपयुक्त प्रतिक्रिया दी कि चार अवकाशप्राप्त जजों की एक समिति बनायी जाएगी जो ऐसे मामलों की जांच करेगी। पर यह योजना कैबिनेट ने नामंजूर कर दी। अब यह तय हुआ है कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स गठित किया जाएगा जो ऐसे मामलों की जांच करेगा। अब उस ग्रुप में कौन कौन मंत्री रहेंगे रहेगा यह अभी तक तय नहीं हुआ है।
मेनका गांधी का जजों की कमेटी बनाने का विचार उचित था और उससे कमेटी की विश्वसनीयता भी बनी रहती। क्यों कि आमतौर पर जजों द्वारा की गयी जांचों पर कम आरोप लगते हैं और वे जांच प्रक्रिया और ततसंबंधित विधि प्रक्रिया के जानकार भी होते हैं। लेकिन सरकार ने मेनका गांधी का यह प्रस्ताव रद्द कर ऐसे आरोपों के प्रति अपनी असंवेदनशीलता को ही उजागर किया है। अब यह देखना है कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर बनता है या यह भी ठंडे बस्ते में चला जाता है। और अगर बनता है तो उसे क्या अधिकार और शक्तियां दी जाती है, तथा उसकी विधिक स्थिति क्या होगी।
संसद ने कार्यस्थलों पर महिला कर्मियों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिये विशाखा गाइडलाइंस और ज़रूरी कानून पारित किये हैं। हर विभाग और कार्यलय में कामकाजी महिलाओं को इस व्याधि से बचाने के लिये जांच समितियां भी बनी है। उनमें जागरूकता लाने के लिये बराबर सेमिनार आदि भी होते रहते हैं। लेकिन सरकार और संसद में क्या विशाखा गाइडलाइंस की तर्ज़ पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि यौन उत्पीड़न के मामले भी इन जगहों से नहीं आये हैं। एमजे अकबर का यह मामला भी उनके अखबारी जीवन के कार्यक्षेत्र का है न कि उनके सांसद या मंत्रीकाल का है। जब के ये मामले हैं, तब न तो विशाखा गाइडलाइंस जैसी व्यवस्था थी और न ही इतनी जागरूकता थी। पर अब जैसे जैसे महिलाओं की संख्या कामकाज की जगहों पर बढ़ रही है, वैसे वैसे उनमें साहस भी बढ़ रहा है और एकजुटता भी आ रही है। चरित्र के मिथ्या लबादे को ओढ़ने की उनकी इच्छा भी अब नहीं है। सब्र करो और सहो जैसे उपदेश भी उन्हें अब रास नहीं आते हैं। अब वे खुल कर अपने अंतरंग और भुगते हुए यथार्थ को सबसे साझा करने लगी है। उन्हें यह भी अब फिक्र नहीं है कि समाज या उनके मित्र उनके बारे में क्या धारणा बनाएंगे। वे समाज की उस मानसिकता को चुनौती देती हुयी दिखती हैं कि समाज चाहे जो सोचे या धारणा बनाये वे अब नहीं रुकेंगी और अपनी बात कहेंगी। अकबर द्वारा मानहानि का मुकदमा कायम करा देने के बाद भी लगभग 20 महिला पत्रकार न केवल सामने आयीं हैं बल्कि उन्होंने अदालत में अकबर के खिलाफ गवाही देने की भी बात की है। इस साहस की सराहना की जानी चाहिये। सरकार को भी एक अधिकार सम्पन्न विधि विधान से युक्त कमेटी बनानी चाहिये जो सांसदों और सार्वजनिक जीवन मे रहने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण लोगो के ऊपर अगर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं तो उसकी जांच करे।
अकबर ने अपना इस्तीफा देने का कारण अपने द्वारा अदालत में किया गया मानहानि का मुकदमा करना बताया है। उनके अनुसार वे निजी स्तर पर इस मुक़दमे को लड़ना चाहते थे न कि एक केंद्रीय मंत्री के तौर पर, इसलिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, अकबर ने जो मानहानि का मुकदमा प्रिया रमानी के खिलाफ किया है से मंत्रिमंडल के कुछ मंत्री, विशेषकर महिला मंत्री खुद को असहज महसूस कर रही थीं। दिन प्रतिदिन जब नए खुलासे होने लगे और अकबर से पीड़ित महिला पत्रकार मुखर होने लगीं तो सरकार के लिये भी मुश्किल हो गया कि वह अकबर के बचाव में उतरती। टाइम्स नाउ के मैनेजिंग एडिटर के अनुसार मोदी मंत्रिमंडल की तीन महिला मंत्रियों ने भी प्रधानमंत्री से मिल कर अकबर द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात से असहमति जताई थी। आज एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जिसके अकबर खुद एक बार अध्यक्ष रह चुके हैं ने अकबर से मानहानि का मुकदमा वापस लेने की बात की। अगर वे मुकदमा वापस नहीं लेते हैं तो एडिटर्स गिल्ड ने महिला पत्रकारों को कानूनी मदद करने की भी बात की है।
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने भी एमजे अकबर पर लगे इन गम्भीर आरोपों के बारे में यह कहा है कि कूटनीतिक समाज मे अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व और प्रेस ऐसे आरोपों से घिरे व्यक्ति को अच्छी नज़र से नहीं देखता है। क्योंकि यह एक व्यक्ति का नहीं एक मंत्री का, एक मंत्रिमंडल का, और एक देश का मामला होता है।
अकबर भले ही इस्तीफा देकर नैतिकता की का लबादा ओढ़ लें, पर यह एक राजनीतिक रणनीति ही है। सरकार भी अनावश्यक असहजता से बच गयी।
सोशल मीडिया पर अकबर के इस्तीफे के लिये दबाव तो पड़ ही रहा था कि देश के 72 पूर्व नौकरशाह भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। नौकरशाहों के इस ग्रुप में पूर्व आईएएस और विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित है। इन्होंने देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखा और उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा। यह पत्र अंग्रेज़ी वेबसाइट द वायर ( TheWire ) पर है जिसे मैं यहां उद्धरित कर रहा हूँ। इस पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति महोदय को अपना प्रत्यावेदन दिया है और उन्होंने इस घटना पर सरकार से कड़ी और उदाहरणीय कार्यवाही करने को कहा है। उन्होंने अपने पत्र में संवैधानिक आवश्यकता और नैतिकता का भी उल्लेख किया है और कहा है कि इसका तकाज़ा है कि अकबर तत्काल त्यागपत्र दें।
पूरा पत्र अंग्रेजी में है और नीचे दिया जा रहा है। अकबर का यह त्यागपत्र नैतिकता के आवरण में भले हो पर वह नैतिकता के फलस्वरूप नहीं दिया गया है। यह उनकी मजबूरी है। बिल्कुल फिसल गये तो हर हर गंगे की तरह !!
पूर्व नौकरशाहों के राष्ट्रपति जी को संबोधित पत्र ।
Honourable Rashtrapatiji,
We are a group of former civil servants of the All India and Central Services, who have worked for decades with the Central and State Governments in the course of our careers. We wish to make it clear that, as a group, we have no affiliation with any political party but believe in the credo of impartiality, neutrality and commitment to the Indian Constitution. We continue to uphold the oath of allegiance to our Constitution we took when we entered service.
We write this letter to express our deep disappointment and outrage at the conspicuous lack of action by the Government of India in responding to the statements by sixteen women regarding the sexual harassment faced by them from a person who is today a member of the Union Council of Ministers. In clear and explicit terms, these women have detailed the behaviour of the present Minister of State for External Affairs, Shri M.J. Akbar, over a period of almost three decades from about the mid-1980s to the end of the first decade of this century, when he was in a position of power and responsibility in some of the major news organisations of this country. A number of instances of such harassment by men in positions of power and authority in the fields of journalism, advertising and films have come to light since the first week of October 2018 through social media, print and electronic media. While many of these organisations have initiated action to enquire into the allegations by the affected women and have either removed the persons involved from their employment or distanced those under investigation from participation in the day to day affairs of their organisations, it comes as a rude shock to us that no action whatsoever has been forthcoming from the institution primarily charged with upholding the rule of law, namely, the Government of India, against one of its senior members.
As former civil servants, we are fully aware of the need to follow the due process of law. At the same time, Constitutional propriety and morality dictate that the functionary concerned should resign from his office pending an enquiry and must not be reappointed to a high Constitutional post till he is cleared of all the charges against him. The Vishakha Guidelines issued by the Honourable Supreme Court in 1997 and the Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 (“POSH Act”) have clearly laid down the steps to be taken to protect women at their workplaces. While it is true that the instances referred to where the Minister was allegedly involved refer to the period before the POSH Act came into effect, it is also a fact that the Vishakha Guidelines were in force when at least three of these incidents are said to have taken place. It is a sad commentary on our respect for the rule of law that the newspaper organisations concerned had not put in place mechanisms to implement the Vishakha Guidelines, which would have provided an avenue for redressal to women who felt they were the victims of sexual harassment.
While the facts will come out in a full-fledged impartial enquiry, which we hope will be entrusted to a committee comprising eminent citizens, it behoves the Government of India to act in a manner which gives the public confidence that the government is responsibly discharging its Constitutional duties. As reported in sections of the media, Shri Akbar is attempting to involve the complainants in time-consuming and costly litigation to avoid answering the allegations which have been levelled against him. We look forward to you, Honourable Rashtrapatiji, to uphold the dignity of the many women who have put their reputations at stake in making these allegations.
We earnestly request you, as the first citizen of our country, to advise the Government of India to seek the resignation of Shri Akbar, failing which it should recommend his removal from the Union Council of Ministers. We also request you to issue directions to the Government of India and the State Governments to put in place robust mechanisms to ensure that women can engage in gainful employment free of the fear of sexual harassment and to ensure that all organisations (in the public and private sectors) follow the provisions of the POSH Act in both letter and spirit.
List of signatories:
- Anita Agnihotri, IAS (Retd.), former secretary, Ministry of Social Justice and Empowerment, GoI
- S. Ailawadi, IAS (Retd.) former chairman, Electricity Regulatory Commission
- P. Ambrose, IAS (Retd.) former additional secretary, Ministry of Shipping & Transport, GoI
- Gopalan Balagopal, IAS (Retd.) former special secretary, Govt. of West Bengal
- Chandrashekhar Balakrishnan, IAS (Retd.) former secretary, Coal, GoI
- Meeran C Borwankar, IPS (Retd.) former DGP, Bureau of Police Research and Development, GoI
- Sundar Burra, IAS (Retd.) former secretary, Govt. of Maharashtra
- Som Chaturvedi, IRTS (Retd.) former additional member, Railway Board, GoI
- Kalyani Chaudhuri, IAS (Retd.) former additional chief secretary, Govt. of West Bengal
- Javid Chowdhury, IAS (Retd.) former health secretary, GoI
- Anna Dani IAS, (Retd.) former additional chief secretary, Govt. of Maharashtra
- Surjit K. Das, IAS (Retd.) former chief secretary, Govt. of Uttarakhand
- Vibha Puri Das, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Tribal Affairs, GoI
- Nitin Desai IES, (Retd.) former secretary and chief economic adviser, Ministry of Finance, GoI
- Keshav Desiraju, IAS (Retd.) former health secretary, GoI
- G. Devasahayam, IAS (Retd.) former secretary, Govt. of Haryana
- P. Fabian, IFS (Retd.) former ambassador to Italy
- Hirak Ghosh, IAS (Retd.) former principal secretary, Govt. of West Bengal
- Tuktuk Ghosh, IAS (Retd.) former special secretary and financial adviser, Ministry of Road Transport & Highways, Shipping & Tourism, GoI
- Meena Gupta, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Environment & Forests, GoI
- Ravi Vira Gupta, IAS (Retd.) former deputy governor, Reserve Bank of India
- Wajahat Habibullah, IAS (Retd.) former secretary, GoI and Chief Information Commissioner
- Deepa Hari, IRS (Resigned)
- Sajjad Hassan, IAS (Retd.) former commissioner (Planning), Govt. of Manipur
- Siraj Hussain, IAS (Retd.) former secretary, Department of Agriculture, GoI
- M.A. Ibrahimi, IAS (Retd.) former chief secretary (rank), Govt. of Bihar
- Kamal Jaswal, IAS (Retd.) former Secretary, Department of Information Technology, GoI
- John Koshy, IAS (Retd.) former State chief information commissioner, West Bengal
- Ajai Kumar Indian Forest Service (Retd.) former director, Ministry of Agriculture, GoI
- Arun Kumar, IAS (Retd.) former chairman, National Pharmaceutical Pricing Authority, GoI
- Brijesh Kumar, IAS (Retd.) former secretary, Department of Information Technology, GoI
- Subodh Lal, IPoS (Retd.) former deputy director general, Ministry of Communications, GoI
- Harsh Mander, IAS (Retd.) Govt. of Madhya Pradesh
- Aditi Mehta, IAS (Retd.) former additional chief secretary, Govt. of Rajasthan
- Shivshankar Menon, IFS (Retd.) former Foreign secretary, GoI and Former National Security Adviser.
- Sonalini Mirchandani, IFS (Resigned) GoI.
- Sunil Mitra, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Finance, GoI
- Noor Mohammad, IAS (Retd.) former secretary, National Disaster Management Authority, GoI
- Deb Mukharji, IFS (Retd.) former high commissioner to Bangladesh and former Ambassador to Nepal
- Nagalswamy, IA&AS (Retd.) former principal Accountant General, Tamil Nadu & Kerala
- Sobha Nambisan, IAS (Retd.) former principal secretary (Planning), Govt. of Karnataka
- Surendra Nath, IAS (Retd.) former member, Finance Commission, Govt. of Madhya Pradesh
- Amitabha Pande, IAS (Retd.) former secretary, Inter-State Council, GoI
- Niranjan Pant, IA&AS (Retd.) former Deputy Comptroller & Auditor General of India
- Alok Perti, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Coal, GoI
- R. Raghunandan, IAS (Retd.) former joint secretary, Ministry of Panchayati Raj, GoI
- K. Raghupathy, IAS (Retd.) former chairman, Staff Selection Commission, GoI
- Babu Rajeev, IAS (Retd.) former secretary, GoI
- Y. Rao, IAS (Retd.)
- Julio Ribeiro, IPS (Retd.) former adviser to Governor of Punjab and former Ambassador to Romania
- Aruna Roy, IAS (Resigned)
- ManMohan Sagar, IPS (Retd.) former CMD, Assam Police Housing Corporation, Govt. of Assam
- Umrao Salodia, IAS (Retd.) former chairman, Rajasthan Road Transport Corporation, Govt. of Rajasthan
- Deepak Sanan, IAS (Retd.) former principal adviser (AR) to Chief Minister, Govt. of Himachal Pradesh
- C. Saxena, IAS (Retd.) former secretary, Planning Commission, GoI
- Ardhendu Sen, IAS (Retd.) former chief secretary, Govt. of West Bengal
- Abhijit Sengupta, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Culture, GoI
- Aftab Seth, IFS (Retd.) former ambassador to Japan
- Ashok Kumar Sharma, IFS (Retd.) former ambassador to Finland and Estonia
- Pravesh Sharma, IAS (Retd.) former additional chief secretary, Govt. of Madhya Pradesh
- Raju Sharma, IAS (Retd.) former member, Board of Revenue, Govt. of Uttar Pradesh
- Rashmi Shukla Sharma, IAS (Retd.) former additional chief secretary, Govt. of Madhya Pradesh
- Sujatha Singh, IFS (Retd.) former foreign secretary, GoI
- Tirlochan Singh, IAS (Retd.) former secretary, National Commission for Minorities, GoI
- Jawhar Sircar, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Culture, GoI, & CEO, Prasar Bharati
- Narendra Sisodia, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Finance, GoI
- K.S. Subramanian, IPS (Retd.) former director general, State Institute of Public Administration & Rural Development, Govt. of Tripura
- Sanjivi Sundar, IAS (Retd.) former secretary, Ministry of Surface Transport, GoI
- Parveen Talha, IRS (Retd.) former member, Union Public Service Commission
- S.S. Thomas, IAS (Retd.) former secretary general, National Human Rights Commission.
- Hindal Tyabji, IAS (Retd.) former chief secretary rank, Govt. of Jammu & Kashmir
- Ramani Venkatesan, IAS (Retd.) former director general, YASHADA, Govt. of Maharashtra.