बीते कुछ दिनों में आपने देखा होगा कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक राह चलती गाड़ी में बैठे बेकसूर लड़के को पुलिस वालों ने गोली मार दी, जिसका नाम था विवेक तिवारी! विवेक की इसमें कोई गलती नहीं थी ना ही वो कोई अपराधी था और ना ही आतंकी, उसकी गलती सिर्फ यह थी कि वो रात को तकरीबन 1: 00 बजे अपने काम से लौटकर अपनी महिला सहयोगी को उसके घर छोड़कर अपने घर जाने को तत्पर था.
ना जाने पुलिस के दिमाग में क्या आया और क्या प्रकरण हुआ और पुलिस ने उसको शूट आउट कर दिया, पर यह एक पहलू है इसका एक और पहलू है क्योंकि यह मामला बहुत ही हाईप्रोफाइल हो गया था, मीडिया ने इस को तवज्जो दिया, सोशल मीडिया पर भी इन सब बातों का जिक्र हुआ तो सरकार और प्रशासन को ना चाहते हुए भी सक्रिय होना पड़ा और विवेक के परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुला कर कुछ कंपनसेशन (मुआवजा) दिया साथ ही नौकरी देने का भी वादा किया. पर यह क्या किसी एक व्यक्ति विशेष के साथ ही लागू होगा?
उसका क्या जो पुलिस की गोली खा कर बेरोजगार हुए अपने घर में लेटा हुआ है और दाने-दाने को मोहताज है. अपने पिता पर बोझ बना हुआ है, अपने बच्चों की तरफ देख नहीं सकता क्योंकि वह उससे उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
यह वाक्या है जितेंद्र यादव का, जिसका तकरीबन 8 या 9 महीने पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने एनकाउंटर किया था और उसके कॉलर में गोली लग कर बाहर निकल गई थी और उसकी भी गलती सिर्फ यह थी कि वह अपने कुछ मित्रों के साथ नोएडा की रोड पर घूम रहा था और एक नोकझोंक में पुलिस ने उससे उसकी जवानी छीन ली, वह एक जिम चलाता था जिम ट्रेनर था बॉडीबिल्डर था और वही उसकी जीविका थी।
वरिष्ठ पत्रकार श्री अभिसार शर्मा ने कल इस प्रकरण पर एक वीडियो ब्लॉग किया जितेंद्र के घर गए उसके पिता और परिजनों से मिले तब जितेंद्र ने पूरा वाक्या कैमरे पर बताया कि, जब पुलिस ने उसे रोक कर पीटना शुरू किया उसके पहले यह बोला की “तुम्हें पता नहीं कि योगी सरकार में रात को घूमना फिरना मना है”? (उस बातचीत को यहाँ क्लिक कर देख सकते हैं), और साथ में आपको यह जानकर भयभीत भी होना पड़ेगा कि, जीतेन्द्र के पिता जब योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे तो उसे वहां से भगा दिया गया वहां योगी उससे मिले नहीं। लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक हर जगह व प्रयास करते रहे पर मुख्यमंत्री के पास उनसे मिलने का समय नहीं था।
ऐसी उपेक्षा क्यों??? सिर्फ इसलिए क्योंकि विवेक तिवारी एक खास समुदाय से आता था और जितेंद्र यादव एक ऐसे खास समुदाय से आते हैं जिसके ऊपर योगी सरकार ध्यान नहीं देना चाहती, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री का नाम था अखिलेश यादव।
क्या उत्तरप्रदेश कि पुलिस द्वारा आम जन को भयभीत करने के लिए यह सब किया जा रहा है? क्योंकि अपराधियों को रोकने में तो वह नाकामयाब हैं, ये मैं पूरे तथ्यों के आधार पर बोल रहा हूँ. हत्या, लूट, बलात्कार, महिलाओं के खिलाफ हो रहे हिंसा के आधार पर उप को पहला नंबर हासिल है, पर प्रशासन आम आदमी पर रौब जमाने में लीन है.
फैसला आपको करना है कि इस गुंडागर्दी से छिन्न होती जिंदगी या पर सरकार की उपेक्षा क्या ठीक है? अगर नहीं तो सरकार को जितेंद्र को भी मुआवज़ा देना चाहिए और पुलिस पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए जो कि वह करने के मूड में नहीं है। शायद यह कोई अन्य सरकार होती तो मीडिया और भाजपा के लोगों की कथनी और करनी में फर्क आ जाता।