उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुका है,कुछ महीनों में अधिसूचना जारी हो सकती है,और बड़े से लेकर छोटे नेताओं तक सभी विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं को देख रहे हैं . कुछ नेता पुराने से नये दल की तरफ जा रहे हैं तो कुछ नए से पुराने की तरफ जा रहे हैं .
कुल मिलाकर देखें तो सभी 2022 के चुनावों में खुद को विधायक बनते हुए देखना चाहते हैं. बस इसी तैयारी में नेता लोग जगह जगह अपना आसरा तलाश कर रहे हैं. इसी लिस्ट में यानी टिकट मांगने वाले नेताओं द्वारा समाजवादी पार्टी से भी जम कर टिकट की मांग हो रही है .
ये है वजह..
लखनऊ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जब से समाजवादी पार्टी ने टिकटों के लिए आवेदनों की मांग की है तब से लेकर अब तक उनकी पार्टी से बड़ी तादाद में उमीदवार बनने के आवेदन आ रहे हैं. 403 विधानसभा की सीटों में से करीबन 354 सीटों के लिए मांगें गये आवेदनों के लिए अब तक करीबन 4452 आवेदन आ चुके हैं .
यानि की एक सीट पर दस से लेकर करीबन पन्द्रह उमीदवार दावेदारी ठोंक रहे हैं .जिसमें 49 सीटों पर अखिलेश यादव ने पहले ही भरोसा दिलाया था की जो भी विधायक जीत कर आये थे उनका टिकट नहीं काटा जाएगा इसलिए जीती हुई सीटों पर किये गये आवेदनों पर गौर और सीटों की तरह से नहीं किया जा रहा है.
क्यूँ मची है ऐसी होड़ ?
दरअसल उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नाम पर समाजवादी पार्टी सबसे बड़े नाम की तरह उभर रही है और तमाम सर्वे से लेकर आशंकाओं में वो सबसे आगे नजर आ रही है. ऐसे में 2022 में विधानसभा में बेठने का ख्वाब देखने वाले नेतागण अखिलेश यादव की पार्टी का रुख करते हुए नजर आ रहे हैं .
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अखिलेश यादव प्रत्याशियों के चयन और जातिगत से लेकर क्षेत्रीय आंकलन तक पर खुद ही निगरानी कर रहे हैं . ये भी कहा जा रहा है की इस बार पार्टी प्रमुख की हैसियत से अखिलेश यादव प्रत्याशियों के चयन में कुछ नये तरह के प्रयोग करते हुए भी नजर आ सकते हैं .
ये सभी “भावी” प्रत्याशी अखिलेश यादव के भाजपा पर लगातार हमलावर होने की वजह से उन्हें और उनकी पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ने को जीतने की सबसे बड़ी वजह मान रहे हैं इसलिए ही अभी से जमीनी स्तर पर बहुत से नेता एक्टिव हो गये हैं क्यूंकि उन्हें पता है अखिलेश यादव एक्टिव नेताओं को बहुत महत्व देते रहे हैं और इस बार भी अखिलेश युवा और एक्टिव चेहरों ही पर दांव खेलते हुए नजर आ सकते हैं .