आज के दिन भारत या विश्व मे कहीं न कहीं कोई ऐतिहासिक घटना ज़रूर घटी होगी। चाहे फिर वो इतिहास में लड़ी गयी लड़ाई हो या किसी नेता, अभिनेता का जन्म दिन हो। इसी कड़ी में आज ही के दिन (26 सितंबर) भारत में एक ऐसे व्यक्तित्व का जन्म हुआ था, जिसे कवि, वकील और राजनेता के तौर पर जाना जाता है। ये व्यक्तित्व थे गुलाम भीक नायरंग।
सैयद गुलाम भीक नायरंग का जन्म 26 सितंबर 1876 में अंबाला के पास स्थित डौराना में हुआ था। उस समय ये ब्रिटिश भारत हुआ करता था। नायरंग को “मीर नायरंग” के नाम से भी जाना जाता है। मीर एक प्रतिष्टित वकील और कवि थे। नायरंग को पाकिस्तान आंदोलन के प्रमुख नेता के तौर भी जाना जाता है। आज़ादी और विभाजन से पहले 1938 से 1942 तक भारत मे अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के उप नेता का पद भी संभाला
ज़िंदगी और पेशा :
लाहौर के सरकारी स्कूल से बीए करने वाले नायरंग कि राजनीति में खासी सक्रियता थी। मुस्लिम भारत के नेता बनकर उभरे थे, वहीं 1936 से 1942 तक केंद्रीय विधान सभा के सदस्य भी रहे।
नायरंग का पेशा कोई एक नहीं था। वे कई काम किया करते थे, वो संजीदगी से ग़ज़ल और कविताएं लिखा करते थे। तो बेहतरीन दलील देने वाले वकील भी थी, वहीं मुस्लिमों के लिए राजनीति भी किया करते थे।
शुद्धि आंदोलन का किया था विरोध
ये आज़ादी से पहले की बात थी जब ब्रिटिश पंजाब में हिन्दू नेताओं ने मुस्लिम विरोधी आंदोलन छेड़ा था। इसका नाम शुद्धि आंदोलन रखा गया था। शुद्धि आंदोलन से मुस्लिमों को वापस हिन्दू धर्म मे लेने की कोशिश की जा रही थी। जिसका नायरंग ने पुरजोर विरोध किया था। वहीं आंदोलन में मुस्लिम समुदाय के लिए सुरक्षात्मक और महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। 1947 में भारत-पाक विभाजन के बाद नायरंग पाकिस्तान की पहली संविधान सभा के सदस्य भी रहे।
लेख में किया था दोस्त इकबाल का वर्णन
नायरंग ने अपने एक लेख में अपने दोस्त अल्लामा इकबाल के व्यक्तित्व का वर्णन किया था। जिसमे उन्होंने बताया कि इकबाल उनके कॉलेज के मित्र थे, छात्रावास में भी साथ थे। इकबाल, नायरंग की ही भांति कवि थे और दोनों की घनिष्ठ मित्रता थी।
लेख में नायरंग ने छात्रावास के उस कमरे का भी वर्णन किया जिसमें इकबाल रहा करते थे। हालांकि, 2016 में एक सरकारी कर्मचारी ने नायरंग के लेख के आधार पर उस कमरे का सटीक पता लगाया।
नायरंग की गज़लें और किताबें
प्रतिष्ठित राजनेता और वकील के अलावा नायरंग ने कवि के तौर अनेकों कविताएं और गज़लें लिखी। इसके अलावा उनकी एक कविताओं की किताब भी काफ़ी प्रचलित है। 1982 में पाकिस्तान के करांची से नायरंग की पुस्तक “कलाम ए नायरंग” प्रकाशित हुई।
ये नायरंग की कविताओं का संकलन है।इसका पहला संस्करण 1907 और दूसरा 1917 में प्रकाशित हुआ था। वहीं मोइनुद्दीन अकील द्वारा लिखे विस्तृत परिचय के साथ 1982 मे तीसरा संस्करण प्रकाशित किया गया।
नायरंग के शेर
● नाज़ ने फिर किया आग़ाज़ वो अंदाज़-ए-नियाज़
हुस्न-ए-जाँ-सोज़ को फिर सोज़ का दावा है वही
● मेरे पहलू में तुम आओ ये कहाँ मेरे नसीब
ये भी क्या कम है तसव्वुर में तो आ जाते हो
● कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती
16 अक्टूबर 1952 को 76 की उम्र में सैयद गुलाम भीक नायरंग की मृत्यु हो गयी।