वो मुख्यमंत्री जिसके कार्यकाल में “बाबरी मस्जिद” गिराई गयी.

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कल उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया,1932 को अतरौली उत्तर प्रदेश में जन्में भाजपा की सियासत का नगीना कहे जाने वाले इस शख्स ने कई ऐसे काम किये हैं जिन्हें भाजपा के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

चाहे वो यूपी में भाजपा को शून्य से सत्ता तक पहुंचाना हो या “राम मंदिर” लहर के मुद्दे पर चुनाव लड़ना हो,और ओबीसी समाज को पार्टी के साथ मज़बूती जोड़ना हो इससे भी आगे अगर बढ़ें तो इस नेता के कार्यकाल में “बाबरी मस्जिद” भी गिराई गयी थी।

कल्याण सिंह भाजपा के नेताओं की लिस्ट में वो नेता हैं जिन्होंने आपातकाल के समय मे 21 महीने जेल में गुज़ार कर भाजपा की भविष्य में आने वाली हिंदुत्व की नींव को मज़बूत किया था।

1977 में यूपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनें कल्याण सिंह ने भाजपा को यूपी में 1991 में पहली बार सत्ता तक पहुंचाने का काम किया था।

जब बने मुख्यमंत्री..

24 जून 1991 के दिन वो दिन था जब यूपी में पहली बार भाजपा सत्ता में आई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे। इसमें कोई दो राय नही है कि राम मंदिर लहर ही का कमाल था कि भाजपा ने इतनी लंबी छलांग लगाते हुए डायरेक्ट सत्ता पर कब्ज़ा जमा लिया था।

हालांकि ये सत्ता ज़्यादा दिनों तक नहीं चल पाई और क़रीबन 1 साल बाद ही इनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि बाबरी मस्जिद को कारसेवकों को गिरा दिया गया था ।लेकिन फिर दोबारा से 1997 में बसपा की मदद से कल्याण सिंह दूसरी बार यूपी मुख्यमंत्री बनें और सत्ता के शिखर तक पहुंचें।

कल्याण सिंह के कार्यकाल ही में 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था,गौर करने वाली बात ये है कि खुद कल्याण सिंह ही ने इस बात को कबूल किया था उन्होंने ये आदेश दिया था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाई जाए और न उन्हें रोका जाए।

अपने हिंदुत्व के मुद्दे को मजबूती से स्थापित करने वाले इस नेता ने भाजपा को उस मुकाम तक पहुंचाया था जहां से आगे भाजपा बढ़ते हुए केंद्र में आज स्थापित है। देश भर में 6 दिसम्बर के बाद बनें माहौल का फायदा खुद भाजपा ने उठाया जो सत्ता में और ज़्यादा मज़बूती से आई और केंद्र तक मे सत्ता में आई।

लोकसभा चुनाव लड़ा.. और राज्यपाल

जब राज्य की राजनीति में जगह नहीं बनीं तो कल्याण सिंह ने लोकसभा का रुख किया और 2004 में बुलंदशहर लोकसभा से चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल करी और संसद की तरफ अपना रुख किया, हालांकि 2009 में भाजपा छोड़ते हुए कल्याण सिंह ने सबको चौंका कर रख दिया और 2009 में मुलायम सिंह यादव से हाथ मिला लिया।

जी हां “मौलाना” मुलायम कहे जाने वाले नेता के समर्थन से एटा लोकसभा से 2009 का चुनाव जीत कर कल्याण सिंह फिर से लोकसभा पहुंचने में कामयाब हुए ।

भाजपा की पहली पीढ़ी के सबसे बड़े नेताओं की लिस्ट में कल्याण सिंह एक नम्बर थे तो फिर से पार्टी में लौट आना अचंभित करने वाला नहीं था ।

लेकिन बढ़ती उम्र में सक्रिय राजनीति में जुड़े रहना मुमकिन नहीं रह इसलिए 2014 में राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर रिटायरमेंट कल्याण सिंह को दे दिया गया।

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