इलाहाबाद के इस सब-इस्पेक्टर ने सिखाया गुंडों को सबक

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स्टोरी- उत्तर प्रदेश की जनता को हमेशा अपराधियों की ख़ौफ सताता रहता है। सरकार चाहे जिसकी रहे, अपराध पर रोकथाम के नाम पर बस खानापूर्ति की जाती है। लेकिन इलाहाबाद के सोरांव थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर लोकेश प्रताप सिंह ने 9 सितंबर को अपराधियों के ख़ौफ से जनता को जिस प्रकार से मुक्ति दिलाई वह हम सबको जानना चाहिए।
फेसबुक पर वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद अनस ने फैज़ाबाद-इलाहाबाद हाईवे पर एक सरकारी रोडवेज़ बस के ड्राइवर के साथ मारपीट की घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है। उन्होंने लिखा है कि जितनी तेजी से उनके फोन कॉल पर एसआई लोकेश प्रताप सिंह ने रिस्पांड किया, उसकी उन्हें खुद उम्मीद नहीं थी।

पढ़िए उनका फेसबुक पोस्ट- आज एक ऐसी घटना हुई कि मन परेशान हो गया। एक मित्र की शादी में गोंडा गया हुआ था। वापसी में इलाहाबाद शहर के एंट्री प्वाइंट पर रोडवेज बस को ओवर टेक करने के चक्कर में एक स्कॉर्पियो तथा आई10 कार में सवार अराजकतत्वों ने बहुत उधम काटा। रोडवेज बस में घुस कर ड्राइवर को पीटा तथा दस मिनट तक हाईवे को जाम रखा। मैं ये सब देख रहा था। तय कर लिया था कि इन्हें छोड़ूंगा नहीं। बस में सवार सभी पैसेंजर को भरोसे में लिया। ड्राइवर तथा कंडक्टर को हौसला दिया। हिम्मत बंधाई और सोरांव थाने के एसओ के सीयूजी नंबर पर फोन करके पूरी घटना बताई।
मैंने कहा कि थाने से तीन किमी पहले की घटना है यदि अभी तुरंत बैरिकेटिंग लग जाए रोड पर तो पकड़ में आ सकते हैं। एसओ को बताया कि सरकारी बस के ड्राइवर को मारा गया है। घटना हुए दस मिनट बीत चुके थे। बस में सवार यात्रियों में से चार पांच ही उन बदमाशों का प्रतिरोध कर रहे थे बाकि सब खामोश थे। बस की टोटल स्ट्रेंथ रही होगी चालीस के ऊपर। और गुंडों की तादाद थी सात-आठ।

ख़ैर फोन करने के बाद मुझे नहीं लगा था कि पुलिस त्वरित कार्यवाई करेगी। दस मिनट के बाद सोरांव थाने जब पहुंचा गया तो देखता हूं कि दोनों गाड़ियों को पुलिस ने पकड़ लिया है। जो कुछ मिनट पहले दबंग बन रहे थे वे सब मिमियाते हुए खड़े थे। पुलिसवालों का पारा हाई था। स्कॉर्पियो पर सत्ताधारी दल का झंडा लगा था। नंबर है UP42p1955.
बहुत देर तक मामला थाने में चला। कंडक्टर और ड्राइवर से उन बदमाशों ने माफी मांगी। पैर छुए। और सुलह हो गया। एफआईआर होने को हो जाती लेकिन दोनों संविदा पर थे। बेवजह बात आगे बढ़ती। असल मकसद था उन गुंडों की गुंडई पर सबक सिखाना। जो कि सिखा दिया गया। सोरांव थाने के बहादुर दारोगा लोकेश प्रताप सिंह ने बताया कि फोन पर सूचना प्राप्त होने के तीस सेकेंड के भीतर वे रोड पर खड़े हो गए थे। यदि दो मिनट की भी देरी होती तो गुंडे भाग चुके होते। लोकेश प्रताप सिंह की बहादुरी और शिकायत की संवेदनशीलता को समझते हुए जो त्वरित कार्यवाई करते हुए बैरिकेट लगाया गया, वह काबिल ए तारीफ है। लोकेश जैसे पुलिसकर्मी यदि प्रत्येक थानों में हो जाएं तो अपराधियों की हनक और हेकड़ी दम तोड़ देगी।

धन्यवाद सब इंस्पेक्टर लोकेश प्रताप सिंह।