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सोनिया गांधी ने दी शानदार विदाई स्पीच

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सोनिया गांधी आज कई दिनों बाद  बोल रही थी. यह स्पीच राहुल के अध्यक्ष और सोनिया के विदाई समारोह था.   नवगुन्तुक कांग्रेस अध्यक्ष अपने बेटे राहुल गाँधी के आगमन पर या यूं कहे अपनी विदाई पर. सोनिया अपने भाषण में थोड़ी भावुक भी दिखी और उन्होंने अपनी सास इंदिरा गाँधी को याद किया. और राजीव को याद कर भावुक हो गयी थी.

साभार: ANI


इस मौके पर कार्यकर्ताओं में भारी जोश था. सोनिया गांधी आतिशबाजी और पटाखों की आवाज की वजह से बोल नहीं पा रही थी. बार-बार मना करने पर भी कार्यकर्ता पटाखे फोड़ना नहीं बंद कर रहे थे .
क्या है सोनिया के भाषण की ख़ास बातें 
बकौल सोनिया गाँधी
  • जब मैं इस परिवार में आई तो ये क्रांतिकारी परिवार था. इंदिरा जी इसी क्रांतिकारी परिवार की बेटी थीं. इस परिवार ने देश के लिए अपने पारिवारिक जीवन को त्याग दिया. इस परिवार का एक-एक सदस्य जेल जा चुका था. देश ही उनका मकसद था देश ही उनका जीवन था.
  • इंदिरा जी ने मुझे बेटी की तरह अपनाया. 1984 में उनकी मौत हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि मेरी मां मुझसे छिन ली गई. उन दिनों मैं राजनीति को एक अलग नजरिए से देखती थी. मैंने अपने आपको, पति और बच्चों को इससे दूर ही रखना चाहती थी.
  • इंदिरा जी की हत्या के बाद मेरे पति के कंधो पर बड़ी जिम्मेदारी थी. उन्होंने अपना कर्तव्य समझकर पीएम का पद स्वीकार किया. उनके साथ मैंने देश के कोने-कोन तक दौरा किया. चुनौतियों को पहचाना. उसके बाद मेरे पति की भी हत्या हुई. मुझसे मेरा सहारा छिन गया.

साभार: ANI

  • जब मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस कमजोर हो रही है. उसके सामने कठिन चुनौतिया आ रही हैं तब मुझे कार्यकर्ताओं की पुकार सुननी पड़ी. मुझे लगा कि इसे नकारने से इंदिरा जी और राजीव जी की आत्मा को ठेस पहुंचेगी. इसलिए देश के पति अपने कर्तव्य को समझते हुए मैं राजनीति में आई
  • आज देश के सामने बड़ी चुनौती है. हमारी संस्कृति पर वार हो रहा है. हर तरफ भय का माहौल बनाया जा रहा है. आज भी अगर अपने वसूलों पर खरे नहीं उतरेंगे तो देश की रक्षा नहीं कर पाएंंगे. हम डरेंगे नहीं और झुकेंगे भी नहीं.
  • आपने इस नेतृत्व के लिए राहुल को चुना है. राहुल मेरा बेटा है. उसकी तारीफ करना उचित नहीं लगता. बचपन में उसने अपार दुख झेला. राजनीति में आने पर उसने ऐसे व्यक्तिगत हमले झेले जिसने उसे और भी निडर इंसान बनाया. मुझे उसकी सहनशीलता और दृढ़ता पर गर्व है.
  • इंदिरा जी ने मुझे बेटी की तरह माना और उनसे मैनें भारत की संस्कृति के बारे में सीखा, उन वसूलों के बारे में सीखा जिन पर्विस देश की नीव डली है.
  • हम डरने वालों में से नहीं है, झुकने वालों में नहीं है हमारा संघर्ष सेष की रूह के लिए है हम इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे.
  • हमारे देश में मिली जुली संस्कृति पर वार हो रहा है. हर तरफ से भय का माहौल बनाया जा रहा है. इस बीच कांग्रेस को अपने अंतर्मन में झांककर आगे बढ़ना होगा. अगर हम अपने उसूलों पर खरे नहीं उतरेंगे तो आम जनता के हितों की रक्षा नहीं करेंगे.

 

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