तो क्या अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भी अडानी समूह का हो जायेगा ?

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मीडिया में छपी खबरों के अनुसार, भारतीय रेल की सबसे भव्य इमारत वाला रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) को अडानी ग्रुप खरीद सकता है। इस ग्रुप की रुचि, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी खरीदने की है।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद, रेलवे बोर्ड के चेरमैन एवं सीईओ वीके यादव ने बताया कि इस बैठक में अडाणी के प्रतिनिधि के साथ साथ टाटा प्रोजेक्ट्स जीएमआर, एल्डेको, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर, एल एंड टी, एस्सेल ग्रुप जैसी कंपनियों ने भाग लिया। इसमें हफीज कांट्रेक्टर, बीडीपी सिंगापुर जैसे विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट के प्रतिनिधि भी थे।रेल मंत्रालय के रेल लैंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने बीते दिनों नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के निजीकरण के सिलसिले में जो प्री-बीड मीटिंग का आयोजन किया था, उसमें भी अडाणी समूह के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में लखनऊ, जयपुर और अहमदाबाद समेत देश के छह हवाई अड्डों का निजीकरण किया है, वह सब के सब अडाणी ने ही खरीदे हैं।

देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को कामर्शियल डेवलपमेंट के लिए 60 साल, जबकि रेसिडेंसियल डेवलपमेंट के लिए 99 साल की लीज पर निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की निजीकरण परियोजना को पहले ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप एप्रेजल कमेटी की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।

अब, इसके लिए बोली प्रक्रिया शुरू की गई है। इस प्रक्रिया में चयनित बोलीदाता को इस स्टेशन के रिडेवलपेंट की जिम्मेदारी मिलेगी। साथ ही उन्हें आसपास की रेलवे की जमीन भी मिलेगी, जिस पर वाणिज्यिक और आवासीय निर्माण किये जाएंगे। साथ ही कंशेसन बेसिस पर स्टेशन के आपरेशन एवं मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी चयनित कंपनी की ही होगी।

वर्ष 1887 में विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से बने इस स्टेशन की बिल्डिंग को बनाने में उस समय 16.13 लाख रुपए की लागत आई थी। इस भवन का निर्माण भारतीय वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए गोथिक शैली में किया गया है। यह इंग्लिश के अक्षर ‘सी’ के आकार में संतुलित तथा योजनाबध्द तरीके से पूर्व और पश्चिम दिशा में बनाया गया है। इस बिल्डिंग का मुख्य आकर्षण इसका केंद्रीय गुंबद हैं, जिसके ऊपर ग्रोथ को दर्शाने वाली 16 फीट 6 इंच बड़ी प्रतिमा लगी है।

यह भवन यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। इसके वास्तु वैभव को देखते हुए वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे ‘विश्व विरासत’ की सूची में शामिल किया था। इसका डिजाइन विक्टोरिया और मुगल आर्किटेक्चर से प्रभावित है। सीएसटी का डिजाइन ब्रिटेन के बहुत से रेलवे स्टेशनों से मिलता-जुलता है।

अंग्रेजों ने जब भारत में रेल का परिचालन शुरू किया, तब मुंबई के बोरीबंदर इलाके में बने इस स्टेशन को बोरीबंदर स्टेशन के नाम से जाना जाता था। वह इलाका ग्रेट इंडियन पेनिनस्यूला रेलवे के पास था। उसने नए सिरे से स्टेशन के निर्माण के लिए मई 1878 में काम शुरू किया था और यह 1888 में बनकर तैयार हो गया।

सन् 1887 में महारानी विक्टोरिया के शासन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस भवन का नाम ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ रखा गया बाद में सन् 1996 में इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस से बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। बाद में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस कर दिया गया।