Patriotism is the last refuge of a scoundrel”
“देशभक्ति निकृष्टो की अंतिम शरण है” ये प्रसिद्ध कथन Samuel Johnson का है जो आज भी सही प्रतीत हो रहा है| आजकल अपने आस-पास एक ट्रेंड चल रहा है देशभक्ति,देशभक्ति का सीधा सा अर्थ है जो देश व देश के संविधान का सम्मान करता हो | आजकल इसका अर्थ इतना भर नहीं रह गया है, आज वही देशभक्त है जो गली में खड़े होकर कहे वन्दे मातरम् ,भारत माता की जय कहे और चीन के ब्रांड्स का बहिष्कार करे और कही भी आपकी देशभक्ति की परीक्षा ली जा सकती है |
ये ठीक है कि आपको वन्देमातरम्, भारत माता की जय बोलना चाहिए और न ही ये बोलने से मना करना चाहिए,पर ये कब और कहाँ बोलना है ये आप ही तय करे कोई और क्यों ! चीन के ब्रांड्स का बहिष्कार करे या ना करे ये भी आप या सरकार तय करे,इससे देशभक्ति के साथ जोड़ने का क्या मतलब ? एक और प्रकार की देशभक्ति उभर रही है वो है फिल्मी देशभक्ति, कुछ लोगो ने पाक कलाकारों को काम देने के लिए 5 करोड़ का जुर्माना रख दिया था.
क्या चुनावी रैली में सेना के नाम पर नेताओ की फोटो फर्जी देशभक्ति नहीं है? क्या ये सेना का सीधा अपमान नहीं है कि उनकी कुछ लोग उनकी शाहदत का राजनीतिकरण कर रहे है. ये ट्रेंड फर्जी देशभक्ति का ट्रेंड खतरनाक है, आंतकवाद के प्रति क्या करना है और क्या नही करना है ये सरकार को तय करने दीजिये, किस देश को अपने देश में क्या बेचना है या नहीं बेचना है ये भी सरकार को ही तय करने दीजिये.
क्या देशभक्ति की आड़ में हम कुछ मुख्य समस्यायों की अपेक्षा नहीं कर रहे? क्या हम देश के असहाय लोगो की आवाज नहीं दबा रहे हालिया जारी रैंकिंग में भारत का हंगर इंडेक्स में 100 वा स्थान,विश्व बैंक द्वारा जारी रैंकिंग “इज ऑफ़ डूइंग” में भारत का 130 वां स्थान, विनिर्माण क्षेत्र की घटती दर ,किसानों की दुर्दशा और बढती हुई बेरोजगारी हमारी मुख्य मस्याए नहीं है ? इनसे हमारी भावनाए आहत नहीं होती..!! या इन समस्यायों को देशभक्ति की आड़ में छुपाया जा रहा है ? या केवल देशभक्ति का दिखावा करने से ही इन समस्यायों को हल हो जायेगा!
देशभक्त बनिए..! किसी की समस्यायों को हल कर दीजिये,किसी भूखे को खाना खिला दीजिये, सेना के विधवा फण्ड में दान दे दीजिये,किसानो को उनका हक़ दिला दीजिये,महिलायों का सम्मान कीजिये | पर देशभक्ति किसी पर थोपिए मत, देशभक्ति के नाम पर किसी के विचारो का हनन मत कीजिये. देशभक्ति का दिखावा मत कीजिये क्योकि आज हम जिन विकसित देशो के साथ प्रतिसपर्धा की सोच रहे है वहां बहस तकनीकी पर,गरीबी निवारण और आर्थिक समसयायो पर होती है न की देशभक्ति पर तो हमे भी यदि विकसित देशो की राह पर चलना है तो इन समस्यायों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा ना कि देशभक्ति पर
बाकी जो है सो है ….!!!!