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फिल्म निर्देशक शादाब सिद्दीक़ी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत

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सेवा में,
श्रीमान नरेंद्र दामोदर मोदी
प्रधानमन्त्री भारत सरकार
महोदय, निवेदन यह है कि आपने तीन साल पहले देश के संविधान की शपथ लेकर देश में अच्छे दिन लाने का वायदा किया था, चलिए हम आम लोगों को छोड़ दीजिए साहब, हमें नही चाहिए अच्छे दिन हम इन्ही दिनों में अपना गुजारा चला लेंगे, लेकिन साहब आपसे हाथ जोड़कर विनती है आप कम से कम हमारा न सही लेकिन धरती को सींच कर कढ़ी दोपहरी में अन्न पैदा करने वाले किसानों पर तो रहम खाइए, यह वही किसान है जो खुद देश का पेट पालने के लिए खेतो में लगा रहता है और अपने बेटों को देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात कर देता है, साहब उन्हें गोली से न मारिए, मेरे देश का किसान तो वैसे ही मरा हुआ है, कभी कुदरत का कहर इस बेबस किसान की साँसे बन्द कर रहा है तो कभी कर्ज का बोझ इनकी जिंदगी पर विराम लगा रहा है.
साहब मध्यप्रदेश में आपकी सरकार ने आधा दर्जन किसानों को गोली से उड़वा दिया, इनका कुसूर बस इतना था कि यह अपना हक मांग रहे थे, किसान जब सख्त खेतों में तपती दोपहरी के बीच फसल के लिए अपना पसीना बहाता है तो उसकी कढ़ी मेहनत उसे तब निराश कर देती है जब वह इस देश के मर चुके सिस्टम उसके आगे परेशानिया खड़ी कर देता है, साहब किसान मर रहा है, जाग जाइए आप, सात समुन्द्र दूर इंग्लैंड में घटना हो जाती है कुछ लोग मारे जाते हैं आपको चिंता होती है और आप ट्वीट के जरिए अपना दुःख बयां कर देते हैं, लेकिन यहा तो अपने लोग मारे जा रहे है, देश की वो रीढ़ मारी जा रही है जिससे देश की पहचान है, लेकिन मारने वाले भी तो आपके ही लोग है.
साहब याद है आपको मदर इण्डिया जिसमे बिरजू पर लाला का कर्ज और लाला का कमीनापन जिससे बीमार बिरजू की पत्नी खुद खेत में हल जोतती है, भारत की इस दुःख भरी कहानी से हम पहली बार ऑस्कर में पहुंचे थे, यह हकीकत है साहब देश का किसान परेशान है, कर्जा होता है तो वह पेड़ पर फांसी लगाकर झूल जाता है, अपना हक माँगता है तो उसको गोली मिलती है, शर्म तब आती है जब आपसे कुछ ही दूरी पर तमिलनाडू के किसान अपना नंगे होकर इंसाफ मांगते हैं, आप नही सुनते हैं तो बेबस किसान अपना ही पेशाब पी जाते हैं, चूहा, सांप खाकर आपको नींद से जगाते हैं, लेकिन आप नही सुनते, साहब आपसे हाथ जोड़कर प्राथना है कि देश के किसान को गोली नही मदद दो, इनको अच्छे दिन दे दो, आपसे विदर्भ, बुंदेलखण्ड ही नही पूरे देश के किसान इन्साफ मांग रहे हैं, मदद कर दीजिए, देश का आम नागरिक शादाब सिद्दकी

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